शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

याद तुम आ गई.

हुई जो रात तो मुझको याद
तुम आ गई
छिड़ी जो कोई बात तो मुझको
याद तुम आ गई
बात बे बात, जाने क्या बात
आज फिर से याद मुझको
तुम आ गई..

यूँ तो मैंने वादा किया था तुझसे
और तुने मुझसे ..
फिर कभी ना याद
एक-दुसरे को करने का
पर आज तोडके हर वादा अपना
और भुला के हर बात
मुझको याद तुम आ गई

हुई जो रात तो मुझको याद
तुम आ गई

ये माना की आज हम-तुम साथ नहीं है
मगर हम जेहन में तो है एक-दुसरे के
जो अगर झूठा हूँ मैं और ये भ्रम है मेरा
फिर क्यूँ आज सालो के बाद
फिर से मुझको याद तुम आ गई

हुई जो रात तो मुझको याद
तुम आ गई ..

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