सोमवार, 28 मई 2012

जिन्दगी दोड़ती चली जाती है

जिन्दगी दोड़ती चली जाती है
अब ख़ुशीया मेरे पास ठहर नहीं पाती है
मैं कितनी भी कोशिश करूँ
खुश रहने की
अब इन होठो पे हँसी नहीं आती है

तेरे गम से ये मेरी आँखे नम है

तेरे गम से ये मेरी आँखे नम है
मुझको रोने की नहीं आदत
पर क्या तेरा ये गम कम है
लाख कोशिश करू
फिर भी ये आंसू आ ही जाते है
आज भी तेरा मुझपर ये असर कम है

मैं दुनिया से नहीं डरता

मैं दुनिया से नहीं डरता
मुझको तुझसे डर लगता है
लोग झुठे है
यहाँ और दिखावे का लिबास ओढ़ लेते है
चलो ये तो गैर है अपने नहीं
पर मुझे तेरी सच्चाई से डर लगता है

शुक्रवार, 25 मई 2012

हो कोई साथ तो अच्छा लगता है

हो कोई साथ तो अच्छा लगता है
मुझको तेरे पास अच्छा लगता है
यूँ तो जानती नहीं
वो मुझको और मैं उसको
पर ये अंजना एहसास अच्छा लगता है
बोल दूँ उससे मैं
इस दिल की हसरत
पर उसकी आँखों से मुझे डर लगता है

तेरी बातों में जीने का मज़ा आता है

तेरी बातों में जीने का मज़ा आता है
देख कर तुझको
ये शख्स मुस्कुराता है
देख ज़माने की नीयत ठीक नहीं
खुद को संभालना ऐ - हँसी
देखकर तुझको मैं तो क्या
उस खुदा का कभी ईमान डोल जाता है

पलकों पे मेरे-तेरे ख़ुवाब ठहर जाते है

पलकों पे मेरे-तेरे
ख़ुवाब ठहर जाते है
अरमा ये मेरे दिल के
सब अश्को में बह जाते है
मेरे कहने से कहा
होती है तू मेरी
और एक हम है
जो तेरी खातिर मिटे जाते है

बुधवार, 23 मई 2012

मैं कभी प्यार से तुमको अपना कहूँ तो बुरा क्या है?

मैं कभी प्यार से तुमको
अपना कहूँ तो बुरा क्या है?
मैं कभी तुमको
गले से लगा लूँ गिला क्या है ?
हाँ तुमको पसंद नहीं है
ये मेरा दीवानापन
पर अगर मैं
तुम्हारे सामने बहक जाऊं
तो सजा क्या है?

मोल इन्सा का नहीं मोल तो जज्बातों का है

मोल इन्सा का नहीं
मोल तो जज्बातों का है
ना मैं बुरा हूँ
ना तू बुरा है
बस फ़र्क तो नज़रिये का है
कोई सपनो में जीया करता है
तो कोई हकीकत में मरा करता है
बस फ़र्क इस नीयत का है

आँख से अश्क बहे तो महखाना भर जायेगा

आँख से अश्क बहे
तो महखाना भर जायेगा
पीने वालो को नशा होता है शराब से
और मेरा दिल
तो तेरे दर्द से भर जायेगा
नशा उतर जाता है
शराब का एक रोज़
पर मुझको होश कब आयेगा

सोमवार, 21 मई 2012

पास आने दो मुझे मुझे यूँ ना तुम ठुकराया करो

पास आने दो मुझे
मुझे यूँ ना तुम ठुकराया करो
मैं तुम्हारा हूँ
फिर मुझसे यूँ ना
एतराज़ तुम जताया करो
प्यार जो गर है मुझसे
तो मुझपे भरोसा भी करो
यूँ ना मेरी नियत पे
तुम शक जताया करो

तुम ना आते तो मेरा क्या होता

तुम ना आते तो मेरा क्या होता
बनके आवारा गलियों में भटक रहा होता
तेरे मिलने से बदल गये है
मेरी जिन्दगी के मायने सभी
वरना अबतलक मैं
दुनिया की भीड़ में
कब का खो गया होता

जिन्दगी तेरे सिवा अच्छी तो नहीं

जिन्दगी तेरे सिवा अच्छी तो नहीं
जो तू नहीं तो कुछ भी तो नहीं
फ़र्क महसूस नहीं होता
अब मुझे गम और खुशी में
मैं जिन्दा हूँ तो सही
पर अब मुझमे जिन्दगी तो नहीं

शुक्रवार, 18 मई 2012

मैं कही भी रहूँ तू अक्सर मेरे साथ होती है

मैं कही भी रहूँ
तू अक्सर मेरे साथ होती है
मैं कही अगर ठहर जाऊ
तो बरसात होती है
मेरी -तेरी लड़ाई
यूँ तो रोज़ का किस्सा है
पर अगर तुझसे जुदा
हो जाऊ तो ये आँखे रोती है

आज तू मुझपे एक एहशान कर

आज तू मुझपे एक एहशान कर
या तो होजा तू मेरी
या मुझको तेरे नाम कर
अब नहीं होता है ..
ये इंतज़ार मुझसे तेरा रोज़ -रोज़
ऐ -सनम अब तो ख़तम ये इश्तिहार कर

मुझको अपना भी कहती हो

मुझको अपना भी कहती हो
और मुझसे ये दूरिया भी रखती हो
हो मेरी तुम इसका दावा भी करती हो
और लोगो से मुझे छुपाया भी करती हो
हाँ दिखाती हो मेरे लिए ये अपनापन भी तुम
और मुझ पर ही तुम भरोसा करने से डरती हो

मंगलवार, 15 मई 2012

किसी को अपना बनाने में वक़्त लगता है

किसी को अपना बनाने में वक़्त लगता है
किसी का हो जाने में वक़्त लगता है
ये दिल यूँ तो धड़कता है रोज़ ही
पर इस दिल में ........
किसी को समाने में वक़्त लगता है

इन आँखों ने नहीं देखा कोई चेहरा तुझसा

इन आँखों ने नहीं देखा
कोई चेहरा तुझसा
मुझको अच्छा नहीं लगा
कोई शक्स तुझसा
बड़े इत्मीनान से देखी
मैंने ये दुनिया सारी
पर मुझे कोई और ना मिला
सरे जहा में तुझ जैसा

रात आंसुओ में बही

रात आंसुओ में बही
तो सुबह बुरा मान गई
सुबह खामोस रही
तो दोपहर खफा हो गई
शाम को सोचा था
मना लेंगे अपने प्यार से उसे
पर अपनी तो शाम
भी किस्सों में उसके
यूँ उलझी की सारी शाम गई

बुधवार, 9 मई 2012

चार पन्नो में पलट जाएगी ये जिन्दगी मेरी

चार पन्नो में पलट जाएगी ये जिन्दगी मेरी
२ तेरे प्यार के और २ मेरी बर्बादी के है
मैंने तो बहुत संभाल के लिखी थी
प्यार की ये कहानी अपनी
पर तेरा इरादा कुछ और निकला

मेरे किस्सों में तेरा किस्सा जब भी आता है

मेरे किस्सों में तेरा किस्सा जब भी आता है
इस शख्स का चेहरा यूँही खिल जाता है
तू ज़माने भर से छुपा ले
ये हकीकत मेरी
पर तेरे साथ जुड़कर
हाँ मेरा नाम तो हो जाता है

बहुत चाहा है मैंने तुझको

बहुत चाहा है मैंने तुझको
मैं अब अपनी चाहत का क्या हिसाब करू
अगर समझना होता
तो तू समझ जाती अबतलक मुझको
अब भला मैं कबतलक
यूँ खुद की नुमाइश करू

सोमवार, 7 मई 2012

आज जो आये होतो लौट के फिर ना जाओ

आज जो आये होतो
लौट के फिर ना जाओ
इतनी जल्दी भी है क्या
दो घडी तो ठहर जाओ
वक़्त का क्या भरोसा
है आज हम और कल नहीं
ऐ-सनम कम से कम
आज के लिए तो मेरे हो जाओ

तुम कभी प्यार से मुझे देखा भी करो

तुम कभी प्यार से मुझे देखा भी करो
हाँ थोडा अजीब सा हूँ मैं
पर कभी जूठे ही सही
मेरी तारीफ तो किया करो
अल्फाज़ दो ही बहुत है मेरे लिए
पर कभी तो तुम
मेरे लिए कुछ कहा करो

पलके मुंधू तो तेरा चेहरा दिखाई दे

पलके मुंधू तो तेरा चेहरा दिखाई दे
दिल ये टटोलू तो तेरी धड़कन सुनाई दे
हूँ मैं अजीब सी हालत में आजकल
मैं जहाँ भी देखूं
तो बस मुझे तू ही दिखाई दे

गुरुवार, 3 मई 2012

मेरे जिन्दा होने की वजह तू है

मेरे जिन्दा होने की वजह तू है
मैं हूँ इस दुनिया में इसका सिला तू है
मुझे समझने के लिये
यूँ तो है ये सारी दुनिया
मगर मेरी फितरत को समझता तू है

तेरे जाने की कोई तो वजह होगी?

तेरे जाने की कोई तो वजह होगी?
हाँ कसूर मेरा ही था
जो मैं ना तुझे रोक सका
मेरी सफाई में कोई तो कमी होगी?

बिन कहे दिल की कोई बात करू तो कैसे ?

बिन कहे दिल की कोई बात
करू तो कैसे ?
मैं चुप रहूँ
तो अपने जज्बात कहूँ कैसे?
मुझको नहीं आता इजहार-ऐ- मोहब्बत करना
अब मैं तुझसे अपने हालत कहूँ तो कैसे?