गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

देखकर उसको....

देखकर उसको काश
ये दिल मेरा ना डोला होता
तो आज मैं ना गधा होता

उसकी हँसी को जो मैंने
ना अपने दिल से लगाया होता
तो आज बन्दा में भी काम का होता

इस दिल का धडकना
और उसका मुझको देख कर शर्मना
तीर जो उसका मुझ पर ना चला होता
तो आज मैं भी २ बच्चो का बाप होता

उसके इंतज़ार में और उसके भरोसे पे
काट दी मैंने अपनी ये उम्र सारी
और वो बन गयी और किसी की घरवाली

ख़ास मैं यूँ गधो का सरताज ना होता

देखकर उसको काश .
ये दिल मेरा ना डोला होता
तो आज मैं ना गधा होता

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