बुधवार, 6 अप्रैल 2011

कल और आज ,क्या बदल पाया

वक़्त बदला, दोर बदला मगर, कुछ ना बदल पाया तो, वो है नजरिया
और लोगो का रंग और ढंग , बात सन १९४७ की हो या आज के दोर की
हम कल भी वही खड़े थे, जहा आज है
बस हालत बदल गये है, अगर बात १९४७ की जाए तो तब हम गुलाम थे
और हम पर अंग्रेजो का अधिकार था, और हमारी , हमारे वतन में कोई जगह नहीं थी
हमें कोई आज़ादी नहीं थी और हम अपने देश मैं ही , कैदी की तरह जी रहे थे
और तब हम गुलाम बने तो भी , वो कुछ लोगो के लालच की वजह से,
और आज जो हमारे देश का हाल है, वो भी कुछ लोगो की वजह से , वक़्त भले बदल गया है और देश ने तरक्की की है , मगर हालत तो वही है,

जो पहले थे , पहले हमें बाहर वालो ने लुटा और आज अपनों के हाथो लुट रहे है
जहा देखो भाई-भतीजावाद है , अराजकता है, घूसखोरी है, और सब अपना घर भरने में लगे है, आमिर और आमिर होता जा रहा है और गरीब और गरीब, जिस सविधान की गरिमा के लिए हमारे शहीदों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी और शहीद हो गये
तब जाकर हमें कही आज़ादी मिली और आज उस ही आज़ादी का फायेदा उठाकर हमारे नेता, हमारे सविधान को तोड़-मरोड़ने में लगे है, और राजनीती में भ्रष्ट नेताओ से भरी पड़ी है इ जहा ना जाने रोज़ कितने घोटाले होते है

जहा नेता १०० करोर का घोटाले के बाद भी आसानी से बा-इज्जत बरी हो जाता है और एक गरीब लड़के को १० रुपये चुराने के सज़ा २ साल कैद के रूप में दी जाती है जहा लाल बहादुर शाश्त्री जैसे इमानदार और महान नेता हुए वो ही आज १२५ करोर के भारत में एक ईमानदार और देशभग्त , भगत सिंह और जवाहर लाल नेहरु जैसा नेता नहीं हो पाया

मेरे देश ने नित-निरंतर तरक्की की मगर वो ना कल देशद्रोहियों से लड़ पाया ना आज लड़ पाया, वो कल गुलाम था अंग्रेजो के हाथो और आज गुलाम है, अपने नेताओ के लालच और भ्रष्टाचार मैं सलिप्त होकर, भारत तो बड़ा मगर उसका विकाश जहा कल था आजतक वही रुका हुआ है, और शायद तबतक रुका रहे, जबतक लोग और उनकी सोच ना बदले जिसे बरसो पहले बदलना था, मगर आज भी हम और वो वही के वही है ..................................................................................................................