बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

किस तरह से भूला दू मैं तुझे

किस तरह से भूला दू मैं तुझे
तू मेरी रूह में, मेरे दिल में बसती है
हाँ तेरी गलतिया माफ़ी के लायक तो नहीं
पर तुझसे प्यार किया था, सच्चा मैंने
और दिल से तुझे चाहा और तुझे अपना बनाया था
अब तू ही बता मुझको की ,
सजा दू भी तो किस तरह
मैं तुझको
और तेरी गलियों का
मैं हिसाब करू ...
किस तरह से भूला दू मैं तुझे
तू मेरी रूह में, मेरे दिल में बसती है

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

कल अकेले बैठकर ये सोचा था मैंने

कल अकेले बैठकर ये सोचा था मैंने
ये जिन्दगी हसीं है या की बोझिल
तो जवाब मिला ....
जो तू समझता है सब वैसा नहीं है
आग दरिया है
दरिया में आग
प्यार सस्ता है
रिश्ते बाज़ार में बेमोल बिका करते है
ये जिन्दगी अपनी होकर भी अपनी नहीं
और जो अपने है उनके लिए ये जिन्दगी
सच्ची नहीं ..

हर बात का सबूत
और हर चीज़ की कीमत है
प्यार के होठो पे झूठ
और दिल में भ्रम है
मैं किसको चाहता हूँ
इतना जो मेरा है
पर उसे मेरे प्यार पर शक है
ये जिन्दगी हसी है या की बोझिल है

मैंने कहा चाहा था कभी
सारी दुनियो की दोलत और नेमत को
मैं तो बस प्यार का भूखा था
बस उसकी की तलाश में था
और जो मिला मुझको
सच्चा कोई तो ये दिल लगा बैठा मैं उससे
जो आज पर्दा उठा
तो उसके लिए में एक दिल बहलाने का खिलौना निकला
ये जिन्दगी हसी है या की बोझिल है

अब गिला करू तू किस्से
और अपना दर्द सुनाऊ तो किस्से
और कौन मेरे भरोसे के काबिल है
एक जिसको दिया था ये दिल अपना जानकर
जब वही समंदर इस साहिल का दुश्मन निकला
कल अकेले बैठकर ये सोचा था मैंने
ये जिन्दगी हसी है या की बोझिल है

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

तोहफा तुझे मैं क्या दूँ

तोहफा तुझे मैं क्या दूँ
आज है प्यार का दिन
मैं तुझे क्या दूँ

ये दिल तेरा है
ये जिस्म, ये रूह
मेरा कतरा-कतरा तेरा है
अब मैं तुझे खुदसे बढकर
और कोई नजराना क्या दूँ

लोग कहते है की तोहफों से प्यार का रिश्ता मजबूत होता है
तोहफों से ही हाल-ऐ-दिल
और दिल का एहसास बयाँ होता है
मगर जो खुद तेरा हो चूका हो
उस दिल से और कोई पैगाम क्या दू

ये तोहफे, ये दिखावे, ये चमक, ये धमक
मेरे बस की बात नहीं
मैं शायर हूँ, कोई शहनशा नहीं
जो समझ सके तो समझ ले
मेरे दिल और मेरी मोहब्बत को
अब खामोस रहकर
कैसे तुमसे और कोई बात क्या करू
तोहफा तुझे मैं क्या दूँ
आज है प्यार का दिन
मैं तुझे क्या दूँ

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

सच कहता हूँ तो लोग खफा होते है

सच कहता हूँ तो लोग खफा होते है
झूठ बोलता हूँ
तो ये दिल बुरा मानता है
अजीब सी कशमकश में हूँ
या खुदा तू ही मेरा फैसला करदे
चुप रहकर सहूँ
या बोलकर बदनाम हो जाऊ

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

इतना मजबूर मैं कभी ना था, पहले

इतना मजबूर मैं कभी ना था, पहले
था समंदर के करीब फिर भी प्यासा ही रहा
वो सबकुछ लेकर चले गया
मेरी जिन्दगी से
एक झोके की तरह
और मैं समंदर के खामोस होने का इंतज़ार करता रहा

इन होठो पर अब हंसी अच्छी नहीं लगती

इन होठो पर अब हंसी अच्छी नहीं लगती
मुझको अब ये जिन्दगी अपनी नहीं लगती
अब मुस्कुराऊ तो मैं किसके लिए
अब मेरी जिन्दगी में कोई भी खुशी
मुझको मेरी अपनी नहीं लगती