रविवार, 5 फ़रवरी 2012

इन होठो पर अब हंसी अच्छी नहीं लगती

इन होठो पर अब हंसी अच्छी नहीं लगती
मुझको अब ये जिन्दगी अपनी नहीं लगती
अब मुस्कुराऊ तो मैं किसके लिए
अब मेरी जिन्दगी में कोई भी खुशी
मुझको मेरी अपनी नहीं लगती

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