मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है .....

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है
मेट्रो में सटी हर लड़की अच्छी लगती है
यूँ तो फेर लेती है...
हर लड़की आँखे मुझसे
मगर मुझे उनकी हर अदा अच्छी लगती है

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

कभी चोराहे पे, कभी गली, कभी पार्क और मंदिर में
उलझ जाना...... मुझे ......
उनके साथ हर घडी अच्छी लगती है
मेरे हर दिन और हर रात में शामिल है, वो
मुझे हर लड़की परी लगती है .

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

किसी एक के साथ, मैं क्यूँ बिता दू
ये जिन्दगी अपनी ओ - जय
मुझे तो हर लड़की अपनी लगती है
मेरी मोहब्बत, मेरा प्यार
मेरी चाहत है इन सबके लिये
मुझे तो हर कोई फुलझड़ी लगती है

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

मैं कुछ भी तो नहीं, क्या है ये हस्ती मेरी
मगर जब मैं, होता हूँ साथ इनके ,पास इनके
भले वो खुवाब ही सही
तब ये सारी दुनिया..
मुझे अपनी सी लगती है
मैं अधुरा हूँ , उनके बिना
और वो अधूरी है मेरे बिना
मैं उनकी, और वो मुझे मेरी खुसी लगती है
हर लड़की मुझे मेरी जिन्दगी सी लगती है

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

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