रविवार, 4 दिसंबर 2011

जिन्दगी तेरे साथ बिताने की कसम खाई थी...

जिन्दगी तेरे साथ बिताने की कसम खाई थी
मैंने खुद ही अपनी दुनिया में आग लगाई थी
मेरे घरवालो ने, मेरे दोस्तों ने तो बहुत समझाया था मुझे
मगर मैंने खुद ही अपने खीसे में आग लगाई थी

लोग हँसते रहे मेरा तमाशा देखकर
मगर मैंने खुदी ही अपनी घिल्ली उड़ाई थी
४ दिन का साथ ना मिला हमको तेरी मोहब्बत में
और मेरी खुशियों से सरे बाज़ार,
इस दुनिया ने यूँ दुश्मनी निभाई थी

ये दुनिया ४ दिन का तमाशा है
ऐ - जय .................
, कोई हसता है
तो कोई अश्को में डूब जाता है
या खुदा ये ज़मी पे तुने कैसी
कैसी जन्नत बसाई थी

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