मंगलवार, 17 जनवरी 2012

प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है..

प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
ये दिल क्या, ये जान भी है उसकी
मगर उसको मुझपे एतबार कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है

मेरी लिए है, वो जिन्दगी मेरी
जो वो नहीं तो, मैं कहाँ हूँ
उसे माना है, मैंने अपना खुदा
मगर उस खुदा पर मेरा खुद इख्तियार कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है

मैं जो कभी करता हूँ
उससे ये हाल-ऐ-दिल बयां कभी अपना
तो उसे मेरी बातों से इतेफाक कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है

लोग कहते है की मुझसे की अब शादी
की उम्र हो चली है, मेरी
तो घर बसा लूँ मैं किसी से अब अपना
मगर जिसकी खातिर ये उजड़ा है गुलिस्ता
उसी माली को अब मेरा ख्याल कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार कहाँ है

वो जो न मिलती मुझको तो बात
और थी...............
मगर उसका मिलना मुझसे
और इस दिल का मोहब्बत करना उसको बैइन्तहा
इसमें मेरा और इस दिल का कसूर क्या है?
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

वो जो न मिलती मुझको तो बात
और थी...............
मगर उसका मिलना मुझसे
और इस दिल का मोहब्बत करना उसको बैइन्तहा
इसमें मेरा और इस दिल का कसूर क्या है?
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
...pyar mein khokar haale-dil ki sundar baangi..

Jaidev Jonwal ने कहा…

Dhanyawaad.
Kavita Ji