मंगलवार, 3 जनवरी 2012

कुछ वक़्त तो ठहरो

कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है

इतनी जल्दी भी क्या है?
तुमको जाने की
बस अभी दिन ही तो ढला है
रात अभी बाकी है
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है

है ये डर कैसा दुनिया से
तुझको ऐ-मेरे सनम
लोगो का तो काम ही हर वक़्त
कुछ ना कुछ कहने का है
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है

है जो अगर तुझको भरोसा मुझपर
तो फिर क्यूँ है? तेरी आखे यूँ नम
ये चेहरा तेरा उतरा क्यूँ है?
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है

बदलते है वो लोग जो दिल में कुछ
और जुबा पे कुछ और रखते है
ये "जय" है तुम्हारा और तुम हो मोहब्बत इसकी
वरना ये "जय" भला शायर कहा है.
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है

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