रविवार, 30 अक्तूबर 2011

तेरे आने का इंतज़ार था मुझको...

तेरे आने का इंतज़ार था मुझको
तुझसे मिलने की हसरत थी इस दिल को
मैं सहता रहा इस दुनिया के सितम
बस तेरे लिए.....
बस तुझपे ही ऐतबार था मुझको

मैं तो प्यासा रहा
ता-उम्र तेरी चाहत का
बस तुझसे ही प्यार था मुझको

मैं तो पागल था बस हमेशा तेरे लिए
बस तू ही कभी नहीं समझी मुझको
ये दिल और ये जान तेरी ही थी हमेशा
तू कभी मांगती तो मुझसे..
हम हसके गुरबान हो जाते तेरी खातिर
पर तूमने कभी समझा ही नहीं मुझको

तेरे आने का इंतज़ार था मुझको...

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