शुक्रवार, 25 मई 2012

पलकों पे मेरे-तेरे ख़ुवाब ठहर जाते है

पलकों पे मेरे-तेरे
ख़ुवाब ठहर जाते है
अरमा ये मेरे दिल के
सब अश्को में बह जाते है
मेरे कहने से कहा
होती है तू मेरी
और एक हम है
जो तेरी खातिर मिटे जाते है

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