सोमवार, 28 मई 2012

जिन्दगी दोड़ती चली जाती है

जिन्दगी दोड़ती चली जाती है
अब ख़ुशीया मेरे पास ठहर नहीं पाती है
मैं कितनी भी कोशिश करूँ
खुश रहने की
अब इन होठो पे हँसी नहीं आती है

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