मंगलवार, 15 मई 2012

रात आंसुओ में बही

रात आंसुओ में बही
तो सुबह बुरा मान गई
सुबह खामोस रही
तो दोपहर खफा हो गई
शाम को सोचा था
मना लेंगे अपने प्यार से उसे
पर अपनी तो शाम
भी किस्सों में उसके
यूँ उलझी की सारी शाम गई

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