रविवार, 6 जनवरी 2013

रात का अन्धेरा अब कहाँ मिटेगा



रात का अन्धेरा अब कहाँ मिटेगा
तुझे खो कर कहा
अब मेरी जिंदगी में उजाला होगा
मेरा जो भी था
वो मैंने खो दिया
अब मुझे तुझसे बेहतर
क्या और कोई मिलेगा


कवि / शायर ..

( जयदेव जोनवाल)

कोई टिप्पणी नहीं: