रविवार, 30 दिसंबर 2012

रात ढलने से डर लगता है


रात ढलने से डर लगता है
मुझको तेरी यादों से डर लगता है
दिन के उजाले में
मैं जिंदगी को जी लेता हूँ
मगर रात की तन्हाई में
मुझे तेरी मोजुदगी से डर लगता है


हास्य कवि / शायर .....


(जयदेव जोनवाल )

कोई टिप्पणी नहीं: