गुरुवार, 6 नवंबर 2008

दोस्त की शादी में

दोस्त की शादी में पंगा उल्टा पड़ गया
निकले थे हम सज सवर के की कोई
हमको भी मिल जायेगी
हमारे दिल की रानी
अपना भी घर बस जायेगा
मगर एन मौके पर ये किस्मत दगा दे गई
लड़की तो मिली नही
उससे मिलता जुलता एक आइटम अपुन के पीछे पड़ गया
पीछे से वो हुभा हु , लड़की जैसा ही था
धोके की कोई गुंजाईश नही थी
मगर कहते है न जो दीखता है वो होता नही है
भरी बारात में एक हमारी ही किस्मत खोटी थी
जो हमने जोड़ी अपनी बनने की सोची
छोड़ बैठे बरात का एंजोयमेंट और ये
karan जोहर रूपी काया के मोह जाल में फस बैठे

सुरुआत भले अपनी रही हो मगर
भूल चुक लेनी देनी होती है
मगर इन जैसे नारी रूपी मर्दों में
एक नज़र ही जिन्दगी की पूंजी होती है
हाथ धो के फिर वो जो पड़ा या पड़ी मेरी पीछे
यारो माफ़ करना वो था या थी मुझको ये माल्हुम नही है
मुझे to saari रात चिंता रही अपनी आबरू की
में अच्छा भला मर्द था उस शादी की रात से पहले
मगर जो दी कंपनी उसने तो आज शक होने लगा है
की कही कुछ हो न जाए आने वाले महीनो में

मुझे ख़ुद पर तो भरोसा है
मगर आज कल बदल जाते है इतिहास मिनटों में
क्यूंकि आज कल taadad इनकी रोके नही रूकती
आकडो में
हर गली में मोहल्ले में , जोराहो पे
शादी , पार्टियों में हर जगह ये मिल जाते है
अब तो होने लगी है इन लोगो की शादिया भी
भगवान् ने खूब दी है इनको ही अल्ला की दोलत भी
मेरा पंगा इनसे या इनकी जमात से नही है
मुझे तो तकलीफ है इतनी की ये लोग
नोर्मल को क्यूँ abnormal banaate है
छेड़ते उसको है जो इनसे मिलता नही किसी लहजे से
दोस्ती बन जाती है करण से शाहरुख़ की
दीखता है दोस्ताना गे वाटच का
फिल्मो में अमिताभ के लाल भी अब शामिल है
इन लिस्तो में
जॉन का बॉय फ्रेंड है अभिषेक
कुछ अजीब सा झोल झाल है आज की दुनिया का
एक तो पहले ही कम होती जा रही है
लड़को पे लड़कियों की संख्या
ऊपर से पुरूष पुरूष का होने लगा है देखो
अरे अगर ये yuhi चलता रहा तो क्या होगा
हमारे भुत और भविष्य का कहा से आएगा
वारिस apanii naslo का
कही हमारी

ये peedhi yun ही न khatam हो जाए
और हमारा itithas कुछ का कुछ हो जाए
मेरा तो पंगा भूल से fuse huaa था
और आप लोगो का जान bujhkar
jannat -ऐ- gayindia न हो जाए

दोस्त -=------------------------------------

2 टिप्‍पणियां:

रवि रतलामी ने कहा…

मजेदार कविता है :)

Unknown ने कहा…

nice poem...

enjoy the day....