सोमवार, 2 अप्रैल 2012

रोज़ आती है सुबह..

रोज़ आती है सुबह
और ये दिन शाम को ढल जाता है
रात के पहलु में
फिर चाँद भी खिल जाता है
पर अगर नहीं आती
तो वो तू है
मेरा हर दिन ..
यूँ ही तेरे इंतज़ार में कट जाता है

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