गुरुवार, 7 अगस्त 2008

मैं सिर्फ़ तेरी रह गुज़र हूँ


जो मैं हूँ

हंसता खिलखिलाता

भला कभी काटों ने भी

खिलना सीखा है

या कभी पतझड़ भी

बहार लायी है

जो है वो है

मैं तो सिर्फ़

और सिर्फ़ तेरी

रह गुज़र हूँ।

ऐ मेरे दोस्त।