मंगलवार, 10 जुलाई 2012

रात अब खुवाब नहीं लाती


रात अब खुवाब नहीं लाती
अब मुझे नींद नहीं आती
ये कैसी कशमकश है
तेरे-मेरे बीच में
अब तो भूले से भी
 मेरे इन होठो पे कभी हँसी नहीं आती

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