मैं इस दर से उठकर
अब जाऊ तो कहाँ
अब तुझको भूलाकर
मैं और पाऊं तो क्या
मेरी जिन्दगी का नूर थी तू
मैं इस जिन्दगी से अब और चाहूँ तो क्या
जख्म गहरे है,निशा छोड़ते है
मैं अब तेरी यादो को खुद से मिटाऊ तो क्या
मेरे दर्द की बस अब तू ही दवा है
अब तुझे छोड़कर मैं जाऊ तो कहाँ
दर्द जितना भी है
मैं वो सब सह लूँगा
पर अब मैं तुझको और सताऊ तो क्या
अब जाऊ तो कहाँ
अब तुझको भूलाकर
मैं और पाऊं तो क्या
मेरी जिन्दगी का नूर थी तू
मैं इस जिन्दगी से अब और चाहूँ तो क्या
जख्म गहरे है,निशा छोड़ते है
मैं अब तेरी यादो को खुद से मिटाऊ तो क्या
मेरे दर्द की बस अब तू ही दवा है
अब तुझे छोड़कर मैं जाऊ तो कहाँ
दर्द जितना भी है
मैं वो सब सह लूँगा
पर अब मैं तुझको और सताऊ तो क्या
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