शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

याद तुम आ गई.

हुई जो रात तो मुझको याद
तुम आ गई
छिड़ी जो कोई बात तो मुझको
याद तुम आ गई
बात बे बात, जाने क्या बात
आज फिर से याद मुझको
तुम आ गई..

यूँ तो मैंने वादा किया था तुझसे
और तुने मुझसे ..
फिर कभी ना याद
एक-दुसरे को करने का
पर आज तोडके हर वादा अपना
और भुला के हर बात
मुझको याद तुम आ गई

हुई जो रात तो मुझको याद
तुम आ गई

ये माना की आज हम-तुम साथ नहीं है
मगर हम जेहन में तो है एक-दुसरे के
जो अगर झूठा हूँ मैं और ये भ्रम है मेरा
फिर क्यूँ आज सालो के बाद
फिर से मुझको याद तुम आ गई

हुई जो रात तो मुझको याद
तुम आ गई ..

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

आती है उसकी याद ...

आती है उसकी याद जब भी लेता हूँ, साँस
खोलता हूँ किताब आती है, उसकी याद
जब कभी रहूँ दोस्तों में, मैं फिर भी लगे अकेलापन
आती है उसकी याद, जब भी लेता हूँ साँस

भीड़ में रहकर भी न जाने क्यूँ तन्हा सा लगे
अपनों में होकर भी मुझको बेगाना सा लगे
है अजीब सी कशमश इस जिन्दगी और मेरे बीच में
जो करू खुद से बात तो आती है उसकी याद
जब भी लेता हूँ सांस..

वो समंदर है गहरा
और मैं हूँ उस समंदर का किनारा
वो जब भी मिले मुझसे
तो मैं छू लू ये जहा सारा
जो गर हम हो जुदा मिलकर फिर से
तो ये रोता है किनारा
आती है उसकी याद जब भी महसूस करता हूँ
उसका एहसास .....

आती है उसकी याद जब भी लेता हूँ, साँस ...

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

अजीब सी हलचल दिल में है आजकल

अजीब सी हलचल दिल में है आजकल
ऐसा लगता है की जैसे कुछ चल रहा है अन्दर
आजकल बिना किसी बात के..
कभी मैं बहुत खुश तो कभी उदास हो जाता हूँ
पता नहीं है क्यूँ मेरे साथ..
ऐसा हो रहा है आजकल
अजीब सी हलचल दिल में है आजकल

कुछ लोग कहते है की ये प्यार है
कुछ कहे ये दीवानगी है मेरी
मैं पागल हो गया हूँ.
अगर ये सच है.......
तो क्यूँ मैं जिन्दा हूँ आजतक
अजीब सी हलचल है दिल में आजकल

कहने को तो ये सारी दुनिया है "जय" अपनी
और तू हिस्सा है इसका
मगर फिर भी क्यूँ तू...
जुदा है सा है , इनसे आजतक
अजीब सी हलचल दिल में है आजकल

यूँ तो सब है मेरे
और मैं हूँ सबका
मगर फिर क्यूँ तू उस एक शख्स पर
ही ठहरा हुआ है आजतक
अजीब सी हलचल दिल में है आजकल

ये माना की आज जिन्दगी
कल जैसी ना रही .
मगर जो कुछ भी बदला ..
उसे क्यूँ तू "जय " एतमाद ना कर पाया आजतक
अजीब सी हलचल दिल में है आजकल

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

रात कुछ अजीब थी ..

रात कुछ अजीब थी
वो कुछ करीब थी
थी कुछ अजीब सी सरगोशी हवाओ में
मेरे रूबरू था सारा जहा ..
जो वो इस कदर मुझको जेह-नसीब थी

था कहा फिर डर मुझे इस ज़माने का
जो साथ थी वो मेरे ..
वो जो मुझ में शरीक थी ..

मगर जब नींद खुली
तो फुटा ये मुकद्दर मेरा
वो महबूबा नहीं ....
मेरे महबूब की फटी तस्वीर थी

रात कुछ अजीब थी ...

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

रात के अँधेरे से हमें डर लगता है.

रात के अँधेरे से हमें डर लगता है
सुबह की रौशनी से हमें डर लगता है..
ये दुनिया कुछ भी तो नहीं है..
मेरे लिए......................
मगर मुझे तेरी बदनामी से
डर लगता है .............

तुझको चाहू तो खता क्या है......

तुझको चाहू तो खता क्या है.
है तू मोहब्बत मेरी तो बुरा क्या है.
लोग अक्सर बदल जाते है
एक वक़्त के बाद..
जो अगर मैं ना बदलू कभी तेरे लिए
इस दिल से .....
तो मेरी सजा क्या है?....

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

रात के गहरे सन्नाटे से निकल कर.

रात के गहरे सन्नाटे से
निकल कर...
वो एक रोज़ आई थी
मुझसे मिलने को...

जहा का डर था उसके दिल में
की कही कोई उसे देख ना ले साथ मेरे
वो दबे पाँव मिलने उस रोज़ आई थी मुझको

थी खामोसी उस रात कुछ ऐसी
की बिन कहे उसके..
मैंने पढ़ ली थी आँखे उसकी..
जो वो ना कह पाई थी मुझको

मेरा प्यार, और उसकी चाहत
यूँ तो थी एक सी ...
मगर वो कहा समझ पाई थी मुझको ..

मैंने किया था वादा उससे..
ता-उम्र उसके साथ जीने और मरने का
और उस रात उसकी मोजुदगी..
ने यूँ ऐसा असर किया मुझ पर
फिर कहा उस रात के बाद..
मैं कभी फिर से से मिल पाया था उसको

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

कुछ इस कदर गुमनाम है वो शेहर .............

कुछ इस कदर गुमनाम है वो शेहर
जिसमें तो बसर करता है
मैं ठुन्ठ्ता हूँ , तुझे शेहर भर में
और तू मेरे अन्दर कही बसा हुआ
मुझे मिलता है

ये शेहर यूँ तो कब्रिशतान है
उन लोगो का
जो जिन्दा होकर भी मुर्दों की तरह जीते है

और इन्ही मुर्दों में
हम कोई जिन्दगी
तलाश करते है

तू हकीकत होके भी गुमनाम है इस शेहर में
और हम ज़माने भर में
तेरी तारीफे बयान करते है

कुछ इस कदर गुमनाम है वो शेहर
जिसमें हम तेरे होने का वजूद
तलाश करते है ,,......

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है .....

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है
मेट्रो में सटी हर लड़की अच्छी लगती है
यूँ तो फेर लेती है...
हर लड़की आँखे मुझसे
मगर मुझे उनकी हर अदा अच्छी लगती है

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

कभी चोराहे पे, कभी गली, कभी पार्क और मंदिर में
उलझ जाना...... मुझे ......
उनके साथ हर घडी अच्छी लगती है
मेरे हर दिन और हर रात में शामिल है, वो
मुझे हर लड़की परी लगती है .

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

किसी एक के साथ, मैं क्यूँ बिता दू
ये जिन्दगी अपनी ओ - जय
मुझे तो हर लड़की अपनी लगती है
मेरी मोहब्बत, मेरा प्यार
मेरी चाहत है इन सबके लिये
मुझे तो हर कोई फुलझड़ी लगती है

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

मैं कुछ भी तो नहीं, क्या है ये हस्ती मेरी
मगर जब मैं, होता हूँ साथ इनके ,पास इनके
भले वो खुवाब ही सही
तब ये सारी दुनिया..
मुझे अपनी सी लगती है
मैं अधुरा हूँ , उनके बिना
और वो अधूरी है मेरे बिना
मैं उनकी, और वो मुझे मेरी खुसी लगती है
हर लड़की मुझे मेरी जिन्दगी सी लगती है

पड़ोसन की झलक अच्छी लगती है

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

मेरी कब्र पे वो आये..

मेरी कब्र पे वो आये
तो मुझे सुकून मिला
वरना दुनिया ने
दफना दिया था
कब का मुझको
मरा समझकर..
जो तुम आये.
तो मैं हकीकत में मर सका..

रविवार, 4 दिसंबर 2011

जिन्दगी तेरे साथ बिताने की कसम खाई थी...

जिन्दगी तेरे साथ बिताने की कसम खाई थी
मैंने खुद ही अपनी दुनिया में आग लगाई थी
मेरे घरवालो ने, मेरे दोस्तों ने तो बहुत समझाया था मुझे
मगर मैंने खुद ही अपने खीसे में आग लगाई थी

लोग हँसते रहे मेरा तमाशा देखकर
मगर मैंने खुदी ही अपनी घिल्ली उड़ाई थी
४ दिन का साथ ना मिला हमको तेरी मोहब्बत में
और मेरी खुशियों से सरे बाज़ार,
इस दुनिया ने यूँ दुश्मनी निभाई थी

ये दुनिया ४ दिन का तमाशा है
ऐ - जय .................
, कोई हसता है
तो कोई अश्को में डूब जाता है
या खुदा ये ज़मी पे तुने कैसी
कैसी जन्नत बसाई थी

शनिवार, 3 दिसंबर 2011

जिन्दगी हर किसी का साथ नहीं देती ....

जिन्दगी हर किसी का साथ नहीं देती
हारकर जीत का एहसास नहीं देती
यूँ तो हर कोई चाहता है
अपने हिस्से की खुशिया
मगर किसी का होकर मिट जाना
ये बात, हर किसी में नहीं होती..

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

यूँ तो बदलाव....

यूँ तो बदलाव.....
जिन्दगी में एक नया मोड़ लाता है
पर जो रखते हो अपने दिलो में मैल
और धोखा...
उनके लिए या-खुदा - तू ही बता
किस तरह अपने आपको बदला जाता है..

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

देखकर उसको....

देखकर उसको काश
ये दिल मेरा ना डोला होता
तो आज मैं ना गधा होता

उसकी हँसी को जो मैंने
ना अपने दिल से लगाया होता
तो आज बन्दा में भी काम का होता

इस दिल का धडकना
और उसका मुझको देख कर शर्मना
तीर जो उसका मुझ पर ना चला होता
तो आज मैं भी २ बच्चो का बाप होता

उसके इंतज़ार में और उसके भरोसे पे
काट दी मैंने अपनी ये उम्र सारी
और वो बन गयी और किसी की घरवाली

ख़ास मैं यूँ गधो का सरताज ना होता

देखकर उसको काश .
ये दिल मेरा ना डोला होता
तो आज मैं ना गधा होता

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

जिन्दगी इतनी हसींन तो ना थी कभी

जिन्दगी इतनी हसींन तो ना थी कभी
साथ उसका जो न मिला होता
हम कहा किसी काबिल थे
जो उसने हमको .......
प्यारे करके इस तरह ना सवारा होता

सोमवार, 14 नवंबर 2011

तेरी यादो को मैं कभी भुला न सका

तेरी यादो को मैं कभी भुला न सका
बिछड़ा तो तुझसे मगर
बिछड़ ना सका ........
तेरा प्यार यूँ तो जिन्दगी था मेरी
मगर तेरी ख़ुशी के लिए तुझसे बिछड़ना पड़ा
आज याद करके तुझे.....
भर आते है अक्सर ये आंसू मेरी आँखों में
मैं खुद को तो आज भी समझा लू.
मगर इन अश्को को मैं कभी समझा न सका
तेरी यादो को मैं कभी भुला ना सका....

शनिवार, 12 नवंबर 2011

तेरी हर बात, तेरी हर याद

तेरी हर बात, तेरी हर याद
आज भी जिन्दा है
मेरे इस दिल में
हम बेशक बिछड़ गये हो
इस ज़माने की नज़र में
मगर तू आज भी जिन्दा है
मेरी रूह में हकीकत बनकर

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

कल रात सपने मैं आई थी, वो

कल रात सपने मैं आई थी, वो
थोड़ी शरमाई थोड़ी घबराई थी, वो
कहना तो वो बहुत कुछ चाहती, वो हमसे
मगर ना जाने क्यूँ खामोश थी, वो
थे सवाल बहुत से उसके मन मैं
मगर कुछ न कह पाई थी, वो
मैं और वो सारी रात साथ में थे
जो सुबह आँखे खुली तो
मेरे लिए पराई थी,वो
कल रात सपने में आई थी, वो

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

बदला-बदला सा समां है, आजकल

बदला-बदला सा समां है, आजकल
कुछ याद ,कुछ भुला हुआ सा है आजकल
बस कुछ दिनों पहले की तो बात है, ये
जब वो और मैं साथ जिया करते थे
उनकी पलकों पे tehrai जो आंसू कभी
तो उनको मैंने अपनी हथेली पर सजा लिया था,
मोती की तरह......
अपने दिल में
वो जो बिछड़े मुझसे परसों
तो ये वक़्त रुक सा गया आजकल

बुधवार, 2 नवंबर 2011

उसकी खुसबू को मैं ना कभी भूल सका

उसकी खुसबू को मैं ना कभी भूल सका
वो दूर रहकर भी ता-उम्र मेरे साथ रहा
यूँ तो वो लड़ता रहा मुझसे हमेशा
मगर जो बीछ्ड़ा वो मुझसे तो अपने आंसू ना रोक सका
वो तमन्ना थी मेरी जिन्दगी की
और मैं ख़ुशी था उसके होठो की
मगर ये बदनसीबी रही हमारी
की ना वो कभी कह सका
ना कभी मैं ही कुछ कह सका

रविवार, 30 अक्टूबर 2011

तेरे आने का इंतज़ार था मुझको...

तेरे आने का इंतज़ार था मुझको
तुझसे मिलने की हसरत थी इस दिल को
मैं सहता रहा इस दुनिया के सितम
बस तेरे लिए.....
बस तुझपे ही ऐतबार था मुझको

मैं तो प्यासा रहा
ता-उम्र तेरी चाहत का
बस तुझसे ही प्यार था मुझको

मैं तो पागल था बस हमेशा तेरे लिए
बस तू ही कभी नहीं समझी मुझको
ये दिल और ये जान तेरी ही थी हमेशा
तू कभी मांगती तो मुझसे..
हम हसके गुरबान हो जाते तेरी खातिर
पर तूमने कभी समझा ही नहीं मुझको

तेरे आने का इंतज़ार था मुझको...

शनिवार, 22 अक्टूबर 2011

एक और दीवाना लुटा जाता है ...

एक और दीवाना लुटा जाता है
इस प्यार के बाज़ार में
जिसका कोई खरीददार नहीं
जो खरीद सकते अगर हम
तो खरीद लेते हम उसकी मोहब्बत को
मगर उसकी कीमत हमारी
जिन्दगी से भी ज्यादा निकली
हम तो बीके सरे-ऐ-बाज़ार
उसे पाने की हसरत लिये
और एक वो थी .....
जो हमारे करीब होते हुये भी
हमारी ना बन सकी
ये जिन्दगी की कीमत क्या
जो एक बार वो मिल जाती हमें
तो हम खुद ही उसपर
कुर्बान कर देते ये हस्ती अपनी.

शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

क्या- करते...

उनसे हम अपना हाल-ऐ-दिल बयान क्या करते.
वो सुबह थी,उनको शाम क्या करते.
वो धड़कते थे मेरे दिल में, मेरी सासे बनके
हम उनकी जिन्दगी तमाम क्या करते
उनके एक वादे पे हमने
खुद मिटा दी ये अपनी हस्ती
हम उनको कसूरवार क्या करते..

वो शामिल रहे हमेशा, हममे हमारी रूह बनकर
हम उनकी जिन्दगी का हिसाब क्या करते
हमें हमेशा जरुरत रही उनकी, जीने के लिए
फिर हम उनको अपना मोहताज़ क्या करते

वो सबकुछ थे, हमारे लिए
फिर हम खुद को उनमे तलाश क्या करते
ये जिन्दगी नाम थी, उनके
फिर उनको हम कोई और नाम क्या देते ..

ये जय यूँ तो नाम है, कभी ना हारने का
मगर जो खुद ही हार मान बैठा हो
फिर उसके जीतने की शर्त क्या रखते..

हारकर खुद को किसी के लिए
जीत भी जाते तो
उस जीत का क्या करते...

हम तो लहर है, समंदर की
जो माप आते, समंदर की गहराई अगर
तो उस समंदर से बराबरी क्या करते ..

उनसे हम अपना हाल-ऐ-दिल बयान क्या करते...

शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

मेरी मोहब्बत का खात्मा

मेरी मोहब्बत का खात्मा
कुछ इस तरह से हो
मेरी कब्र पे बना उसका घर हो
जब-जब भी सोये वो
ज़मीन पर मेरे सिने पे
लगा उसका सर हो..

सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर

कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर
अपनी हर अदा से वो मुझे पागल बना देती है
वो कहती है की वो मुझे प्यार नहीं करती
फिर भी ना जाने क्यूँ.
मैं जब भी सामने होता हूँ उसके..
वो कुछ शर्मा कर कुछ घबराकर
बस मुस्कुरा देती है..
शायद वो पागल समझती है मुझे...
या कोई दीवाना उसका..
मगर मैं समझता हूँ की वो मेरी है
मुझे प्यार करती है ..
कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर
अपनी हर अदा से वो मुझे पागल बना देती है ...

रविवार, 9 अक्टूबर 2011

गम इस कदर मिला

गम इस कदर मिला के घबराकर पी गये
खुशी थोड़ी सी मिली जो मिलाकार पी गये

गम इस कदर मिला के....................


यूँ ना थे जनम से शराबी ऐ- साकी
टूटे थे मोहब्बत में खाई थी ऐसी चोट
अश्को को जो पीया तो शराबी हो गये

गम इस कदर मिला के..........................

चाहत से सीचते थे हम मोहब्बत की हर खुशी
और उनकी हर खता को हमने हँसी में भुला दिया
और वो थे बेवफा, बेवफाई निभा गये

गम इस कदर मिला के घबराकर पी गये
खुशी थोड़ी से मली जो मिलकर पी गये

शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

यूँ तो हम भी कहा बुरे थे कभी

यूँ तो हम भी कहा बुरे थे कभी

बस कोई हमको कभी समझा ही नहीं

लोग समझते रहे की हम पागल है

और हमें ये सारी दुनिया बेवजह लगी

हम बुरे थे तो कोई बात नहीं

पर ये दुनिया अच्छी होकर

भी ना जाने क्यूँ अच्छी नहीं

यूँ तो हम हम भी कहा बुरे थे कभी

शनिवार, 2 जुलाई 2011

दिल है

Tut kar phir se kabhi jud naa sake wo dil hai..
Rokar kabhi hass naa sake wo dil hai..
Karke barbaad khud apni khushiya phir kabhi abaad naa ho wo dil hai..

Wo jo naa bhule humko toh gila kaisa par jo usko naa bhule kabhi wo dil hai..
Wo rahe mast hamesha apni duniya me par jo rahe khoya hamesha fikar me uski wo dil hai..
Wo bhul jaye aksar choti-choti baatein tumse judi
par tum yaad rakho har baat, har yaad isme sanjokar wo dil hai..

Wo kahe maine kab kaha tha ki pyaar karo mujhse apni khusiyo ko lutao mujhpe,
Par unki baton ka jab koi jawab naa ho Tumpar, tum khamosh raho wo dil hai…

Wo kahe ki thehro yahi, hum abhi laut kar aate hai
Aur wo bhul jaye aur jo naa laute wo saalo me
Aur tum unhe wahi khade milo , wo dil hai..

Wo kahe ki sorry hum busy the hum bhul gaye
Par unke ek vaade par tum wahi thehar jao
Jahan wo kahe tumko rukhne ke liye wo dil hai…
Laakh vaade karke bhi wo tumse bhul jaaye toh kaisa gila
Par jo unke ek vaade par tum mit jao wo dil hai…

Log kahe ki wo khubsurat hai bahut yeh duniya pagal hai unke liye
magar apko sirf dikhe de dil unka, unki saadgi,unki baton me jab ap kho jao
Aur yaad naa rahe chehra unka, wo yaad banke tadpaye tumko wo dil hai..

Log kitna kahe ki unhe kadar nahi hai tumhare pyaar ki
unko bhul jao, par tum na maano kisi ki wo dil hai…

Wo naa kare kabhi eatbaar tumhara tumko laakh azmaye
par sab kuch jaankar bhi, ap kuch naa keh paaye wo dil hai...

Wo asma ki tarah chhahe tumpar
Aur tum unke dil me jagah naa pakar bhi roshni do unko, unki raaho me wo dil hai..

Wo bhale chupa le apse apni baton ko apni chahat ko
par ap chahkar bhi chup naa reh pao, unko har baat bata do wo dil hai…

Wo free hokar bhi busy rahe unpar waqt naa ho apke liye apse milne ka
Aur jab wo chahe aap unko milo, toh busy hokar bhi aap sab chod kar pahuch jaaye untak wo dil hai..

Wo har baat soch samaj kar kare ek formality ki tarah
Aur aap jab bin soche samjhe samjh jao, har baat unki aur karo unke dil ki
wo dil hai..

Wo rahe hamesha lipte bhandhan me aur aap todd do sab bhandhan unke liye wo dil hai..
Baat jab aaye ek dusre ko zindagi bhar ke liye apnane ki
toh aap thukra do yeh duniya sari unke ek ishare pe
aur wo tab bhi pareshan aur confuse nazar aaye chod naa paye apni khushiyo ko wo dil hai..

Tum luta do unke liye khud ko par wo naa kar paye ye tumpar wo dil hai..

Tum kabhi naa maango naa chaho unse kabhi apne liye kuch bhi
par wo jo kahe wo karo, tum mann lo har baat unki wo dil hai..

Wo kehte hai ki hum badal jayenge ek din, waqt hai abhi bahut aur yeh zindagi abhi baaki hai
Aur jab kal aaye, aur uss pal tum naa raho zindagi me unki
Par de jao unko kabhi naa bhulne wali yaadein tamam, unke marne par bhi wo yaad rahe tumko
aur yeh dil naam lekar dhadke apka wo dil hai..

Ap bhale maar jao hamesha ke liye
magar jo kabhi maar kar bhi naa maar paaye
wo pyara sa masum, pyaar banke dhadkta dil hai..

Ab tum sochogi ki marne ke baad kaise dhadkega yeh dil mera
Toh jab main naa rahu rakhna pyaar se yeh haath apna apne dil par
uski dhadkano me jo main sunai du toh woh hamara dil hai..

Jism badla hai khatam hui hai yeh zindagi meri
Magar pyaar aur feelings kabhi marte nahi,
Jo aj bhi tujhko tadpau yaad aau, main bahut

wo dil hai…..Dil hai.… wo dil hai.. wo dil hai.....

बुधवार, 29 जून 2011

Kismat

Mat mano kaha mera apki marzi hai,
Mat karo puri chahte meri apki marzi hai,
Mat karo eatbaar mujh par apki marzi hai,

Mat samjho iss dil ko aur iski hasrato ko mere pagalpan ko ...
Utha lo aaj jee bharke mazak mera, karo nazar andaz,
jee lo khud ki marzi se apki marzi hai..

Magar ek baat yaad rakhna hamesha kal jab samjhogi mujhko
aur mehsus kar sakogi ye pyaar mera, tab bhale pukarna naam mera
aur jee bharke aansu bahahna
par main naa latunga paas uss waqt tere
yeh rab ki marzi hai..

Zindagi bhar tu naa samjhi pyaar jis pagal ka
aur dil jiska wo karta raha eatbaar tera,
teri haa ki kabhi toh tu samjhegi usse aur pyaar ko uske ,
aur kisi roz hamesha ke liye uski ho,
usko apne seene se lagakar apna tamam pyaar uss par lutayegi
wo karta raha hamesha intezar teri haa ka aur tu taalti rahi usko..

Aur jab aaj samjhi toh wo naa raha iss duniya me tere liye tujhe apnane ko..
Tujhe gale se lagane ko..
Ab jo aaye hai yeh aansu teri in ankho se ye hai pata mujhko ki sache hai
aur aj tujhko jarurat hai meri ye janta hu main bhi
par main aj jahan hu wahan se lautkar nahi aa sakta kabhi
jo poch saku yeh aansu tere ye meri majburi hai…
Jab talak tha main saath tere maine tujhe hasna hi sikhaya naa kabhi rone diya
Aur aj tu roai toh itna ki yeh asma bhi ro pada pyar me tere yaad karke tujhko,
jo yaki naa aaye toh asma se barsti in bundho ko chhu kar dekh le
ye sirf pani nahi pyaar hai inme mera jo bhae teri ankho se katra bankar
par jab aaye meri aankho me toh laye hai ek sailab naya…

Tujhse pyaar aur teri fikar hamesha rahi mujhko
aj dur hu phir bhi tere saath hu
har pal mujhe mehsus toh kar dil se…
Pyaar Mera hamesha sacha tha tere liye
tu na samjha toh isme teri khata kya bas ye kismat hi apni achi nahi hai…

शुक्रवार, 10 जून 2011

बारात चले गई

बारात चले गई
.
दोस्त की बारात में शरीक होने को गए थे हम
और जब पहुंचे शादी में तो एक हम ही दोस्त से कोसो दूर रह गए थे हम
जो कल तक था साथ अपने आज वो घोड़ी पे दूल्हा बनके baitha है
कल तक जो कदम से कदम मिलके चलता था हमारे आज वोही सेहरे में मुएह छुपकर अपने बैठा है.
कल तक दोस्ती हमारी इतनी गहरी thi के हम एक पल को एक दुसरे के बिना ना रहते थे और आज उसी दोस्त को सारी
दुनिया ने घेरा है,
अजीब है ये दुनिया और इसमें बसने वाले जो कल तलक मशुफ़ रहते थे
अपने आप में ही वो आज किसी और के लिए खुद को माकूल बनाते है.
जो ना करते थे कभी बात भूले से भी किसी से आज वो ही शादी के ढेरो शुभ कामनाये देते है.
सारी दुनिया जैसे आई हो शामिल होने मेरे यार की शादी में
बस एक मैं हूँ जिसकी आवाज़ नहीं पहुँचती मेरे दोस्त तक उसके कानो में
कोई नाचे मस्त मिका सा, कोई झूमे बनके शकीरा
कोई तोड़े जूतों को तो पटके अपना डिस्को डांडिया और rock एंड रोल का मतिरा
और कोई लगता है की आज खुस है इतना की जैसे मिली हो जन्नत सारे जहा की उसको
और एक बेचारा दोस्त है अपना जो चुप-चाप बैठा हुआ है बनके मूरत घोड़ी पे बिहाने chala अपनी दुल्हनिया ..

लोग कहते है की थोडा मोटा है, तो कोई कहता है की सावला है
और जो पहुंची बारात अपने गंतव्य को तो दिलो की धड़कन और भावो की धाप और तेज़ हो गयी.
लो जी हो गया अब पहरों का कराये करम भी पूरा और दो लोग एक हो गए जनम जन्मांतर के लिए
और ये क्या लोग अबतक बतिया रहे है की खाने में थोड़ी कमी रह गयी और दुल्हन और दुल्हे का मिलाप जोड़ ठीक नहीं है शादी में मज़ा नहीं आया

वाह क्या बात है . शादी करने वाले और करवाने वाले का दम निकल गया और लोगो को मज़ा नहीं आया .. खाया पिया शान से और अब मज़ा नहीं आया एक पल को सब इंतज़ाम mann को नहीं भाया दोस्त खुस है
लड़की वाले खुस है हम दोस्त के यार खुस है ..
बस कोई खुस नहीं है तो वो hai लोग जो बस आज के लिए बाराती है

और कल apne-apne घर को लौट जायेंगे और जिन्दगी में फिर कभी हमारी हमसे खैरियत पूछने नहीं आयेंगे
मगर आज जो बनायेंगे वो बातें वो सालो के लिए किसी के दिल में नासूर बनके रह जायेगी
और ना जाने कितने दिल वो सब बातें सुनकर एक पल में टूट जायेंगे.

कोई puche तो एक बाप से की क्या वो खुस है या नहीं या उसे इस शादी से क्या मिला तो वो बस ye कहेगा
शादी की प्यार से बिटिया की जितना हो सका
किया
वो परायी हो गयी ab हमेशा के लिए और मिला तो सिर्फ खामिया और बदनामी का दाग मिला
. बस डोली उठी बेटी विदा हो गयी और बस यादें ही रह गयी और बारात चले गयी ...

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

कल और आज ,क्या बदल पाया

वक़्त बदला, दोर बदला मगर, कुछ ना बदल पाया तो, वो है नजरिया
और लोगो का रंग और ढंग , बात सन १९४७ की हो या आज के दोर की
हम कल भी वही खड़े थे, जहा आज है
बस हालत बदल गये है, अगर बात १९४७ की जाए तो तब हम गुलाम थे
और हम पर अंग्रेजो का अधिकार था, और हमारी , हमारे वतन में कोई जगह नहीं थी
हमें कोई आज़ादी नहीं थी और हम अपने देश मैं ही , कैदी की तरह जी रहे थे
और तब हम गुलाम बने तो भी , वो कुछ लोगो के लालच की वजह से,
और आज जो हमारे देश का हाल है, वो भी कुछ लोगो की वजह से , वक़्त भले बदल गया है और देश ने तरक्की की है , मगर हालत तो वही है,

जो पहले थे , पहले हमें बाहर वालो ने लुटा और आज अपनों के हाथो लुट रहे है
जहा देखो भाई-भतीजावाद है , अराजकता है, घूसखोरी है, और सब अपना घर भरने में लगे है, आमिर और आमिर होता जा रहा है और गरीब और गरीब, जिस सविधान की गरिमा के लिए हमारे शहीदों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी और शहीद हो गये
तब जाकर हमें कही आज़ादी मिली और आज उस ही आज़ादी का फायेदा उठाकर हमारे नेता, हमारे सविधान को तोड़-मरोड़ने में लगे है, और राजनीती में भ्रष्ट नेताओ से भरी पड़ी है इ जहा ना जाने रोज़ कितने घोटाले होते है

जहा नेता १०० करोर का घोटाले के बाद भी आसानी से बा-इज्जत बरी हो जाता है और एक गरीब लड़के को १० रुपये चुराने के सज़ा २ साल कैद के रूप में दी जाती है जहा लाल बहादुर शाश्त्री जैसे इमानदार और महान नेता हुए वो ही आज १२५ करोर के भारत में एक ईमानदार और देशभग्त , भगत सिंह और जवाहर लाल नेहरु जैसा नेता नहीं हो पाया

मेरे देश ने नित-निरंतर तरक्की की मगर वो ना कल देशद्रोहियों से लड़ पाया ना आज लड़ पाया, वो कल गुलाम था अंग्रेजो के हाथो और आज गुलाम है, अपने नेताओ के लालच और भ्रष्टाचार मैं सलिप्त होकर, भारत तो बड़ा मगर उसका विकाश जहा कल था आजतक वही रुका हुआ है, और शायद तबतक रुका रहे, जबतक लोग और उनकी सोच ना बदले जिसे बरसो पहले बदलना था, मगर आज भी हम और वो वही के वही है ..................................................................................................................

बुधवार, 23 मार्च 2011

वजूद

"उसकी नज़र में प्यार मेरा सवाल बना फिरता है
दिल में मेरे धड़कता है
मुझ पर हरसू जूनून सा उसका छाया रहता है
कसूर उसका नहीं ये मेरा है
जो उससे में दिल लगा बैठा
उसका मुझसे मिलना ,मेरी तरफ देखकर मुस्कुराना
उसकी हठी-ठिठोली ही रही
और मेरी बदनसीबी देखो बस इतनी रही
उस की हर बात को, में दिल से लगा बैठा
आज कल उसके दिन- रात तो रोशन है
चांदनी की तरह और में हूँ की रात-दिन
आवारों सा भड़कता हु , है ये मोहब्बत मेरी
या दीवानापन है, भीड़ में तन्हाई सी रहती है
आँखों में खूवाब से टीम-टीमाते है हर पल
अब तो खुदा ही, बचाए तो बचा ले मुझको
इस मोहब्बत ने मुझे, किसी काम का न छोडा है
"पहले लोग कसीदे पढ़ते थे मेरे नाम के "
और आज लोगो की जुबा पर मेरी बदनसीबी का किस्सा है
या खुदा किसी को न देना ऐसी नेहमत
जो अता तुने मुझको फरमाई है
अब तो सिर्फ दिल से ये ही निकलता है " आह बनकर "
( मेरे खुदा मेरे जेह नसीब ,मुकद्दर को बनाने वाले
जो हाल अपना हुआ है मोहब्बत में
वो किसी और का न करना
क्यूंकि हम तो शायर है
चोट खा कर , और गिरकर भी संभल सकते है
मगर आम इंसान में हिम्मत नहीं है इतनी
की टूटकर फिर से जुड़ जाए मूरत की तरह "

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गुरुवार, 17 मार्च 2011

तेरा शुक्रिया

तेरा शुक्रिया मेरी जिन्दगी में आप जो आये
मुझे समझा, मुझे जाना
मुझे छूकर पत्थर से जो इंसा बनाया
तेरा शुक्रिया

था रास्ते का मैं पत्थर
लोग ठोकर मारते रहे मुझे अक्सर
मैं बस सबके लिए फजूल था हरपल
मगर तुने मुझे अपना बनाकर
अपने दिल से लगा,
अपने प्यार में फ़रिश्ता बनाया
तेरा शुक्रिया

मैं मजबूर कल था, मैं मजबूर आज हूँ
दे ना पाया मैं तुझको एकपल की खुशी भी कभी
और एक तू है , जो हरपल मुझपर खुशियों का अम्बर लुटाता रहा
तेरा शुक्रिया

मैं कब का था, इस जहा के लायक
जो कोई मुझको समझता , पास अपने बिठाता
प्यार मुझपर अपना लुटाता
और एकपल को माथा मेरा चूम लेता
पीठ मेरी थप-थपाता, मैं बदनसीब था
तुझसे मिलने से पहले, जो आया तू जिन्दगी में मेरी
तो तुने मेरी दुखो को अपना बनाया
मुझे दी खुशिया और इस दुनिया में जीने लायक बनाया
तेरा शुकिया

तेरे प्यार में वो सुकून है, वो करार है
जो सारी उम्र मैं भड़कता रहा
तो कही भी ना मिल पाया
मैं ओस की एक बूंद, और तू सारा समंदर
मैं तुझमे मिलकर भी कब कहा मिल पाया
मैं अधुरा था, हरपल तुझसे मिलने से पहले
जो मिला तुझसे, तो मैं पूरा बन पाया
तेरा शुक्रिया

मेरी आँखे, तेरा दर्द, तेरी चुभन, मेरे आंसू
अजीब से रिश्ता है, कुछ तेरे-मेरे बीच में
ऐ-सनम , ना मैं कभी समझ पाया
और ना तू ही कभी समझ पाया
तेरा शुक्रिया-तेरा शुक्रिया-तेरा शुक्रिया

रविवार, 13 मार्च 2011

यादें

यादें कुछ खठी कुछ मीठी जिंदिगी के अतीत में ना जाने
क्या-क्या छोड़ जाती है
कभी हसाती है तो कभी रुलाती है
न जाने हमसे, कभी कितने हज़ार वादे लेकर कभी ना टूटने
का वादा करके और कभी एक छोटी से चुभन से
हमको ता-उम्र के लिए हमेशा के लिए बिखेर के तोड़कर चले जाती है

है अतीत की परछाई में कभी सो हसी के पल तो
तो कभी गम और तकलीफ के फशाने भी
कभी थे जो साथ हमारे हमेशा आज दूर है वो वो हमसे\
बस है तो सिर्फ याद ही उसकी बाकी
वक़्त हर वक़्त एक सा कभी नहीं रहता
जो आज है नसीब हमको वो कल हमेशा साथ नहीं रहता

अजीब है दस्तूर ये ज़माने का
लोग वादे तो करते है हमेशा साथ निभाने के लिए
मगर जब वक़्त नहीं टेहरता किसी के लिए
तो भला हमारी बिसात ही क्या है

जो आज है उसी को सम्भाल लो ऍ_दोस्त मेरे
कल के चक्कर कभी आज भी न निकाल जाये
अपने हाथो से
और बस फिर याद ही बनकर रह जायेंगे वो हमारी यादों में
जो आज सच है हमारे लिए