गुरुवार, 17 मार्च 2011

तेरा शुक्रिया

तेरा शुक्रिया मेरी जिन्दगी में आप जो आये
मुझे समझा, मुझे जाना
मुझे छूकर पत्थर से जो इंसा बनाया
तेरा शुक्रिया

था रास्ते का मैं पत्थर
लोग ठोकर मारते रहे मुझे अक्सर
मैं बस सबके लिए फजूल था हरपल
मगर तुने मुझे अपना बनाकर
अपने दिल से लगा,
अपने प्यार में फ़रिश्ता बनाया
तेरा शुक्रिया

मैं मजबूर कल था, मैं मजबूर आज हूँ
दे ना पाया मैं तुझको एकपल की खुशी भी कभी
और एक तू है , जो हरपल मुझपर खुशियों का अम्बर लुटाता रहा
तेरा शुक्रिया

मैं कब का था, इस जहा के लायक
जो कोई मुझको समझता , पास अपने बिठाता
प्यार मुझपर अपना लुटाता
और एकपल को माथा मेरा चूम लेता
पीठ मेरी थप-थपाता, मैं बदनसीब था
तुझसे मिलने से पहले, जो आया तू जिन्दगी में मेरी
तो तुने मेरी दुखो को अपना बनाया
मुझे दी खुशिया और इस दुनिया में जीने लायक बनाया
तेरा शुकिया

तेरे प्यार में वो सुकून है, वो करार है
जो सारी उम्र मैं भड़कता रहा
तो कही भी ना मिल पाया
मैं ओस की एक बूंद, और तू सारा समंदर
मैं तुझमे मिलकर भी कब कहा मिल पाया
मैं अधुरा था, हरपल तुझसे मिलने से पहले
जो मिला तुझसे, तो मैं पूरा बन पाया
तेरा शुक्रिया

मेरी आँखे, तेरा दर्द, तेरी चुभन, मेरे आंसू
अजीब से रिश्ता है, कुछ तेरे-मेरे बीच में
ऐ-सनम , ना मैं कभी समझ पाया
और ना तू ही कभी समझ पाया
तेरा शुक्रिया-तेरा शुक्रिया-तेरा शुक्रिया

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