चोरी छुपे उसका दीदार होता है
मेरा हर दिन यूँ ही बेक़रार होता है
जी भर के उसे देखूं मैं कभी, ये मेरी हसरत है
सामने उसके ना जाने क्यूँ ये वक़्त सिमटता सा लगता है
हास्य कवि / शायर ...
(जयदेव जोनवाल )
मेरा हर दिन यूँ ही बेक़रार होता है
जी भर के उसे देखूं मैं कभी, ये मेरी हसरत है
सामने उसके ना जाने क्यूँ ये वक़्त सिमटता सा लगता है
हास्य कवि / शायर ...
(जयदेव जोनवाल )
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