आँख के इशारे वो समझ तो गया
ज़रा करीब आके वो फिर सम्भल तो गया
हम कब से बैठे थे उसकी ताक में
वो आया,बैठा ,मुस्कुराया और फिर हवा हो गया
हास्य कवि / शायर ...
(जयदेव जोनवाल )
ज़रा करीब आके वो फिर सम्भल तो गया
हम कब से बैठे थे उसकी ताक में
वो आया,बैठा ,मुस्कुराया और फिर हवा हो गया
हास्य कवि / शायर ...
(जयदेव जोनवाल )
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