आईना टूट जाता है
जो अगर हो कोई बेहतर उससे
लोग टुकरा देते है अक्सर सच्चाई को अपनी
मगर सच-सच ही रहता है हमेशा
भला कौन कैसे मुह मोड़ेगा अपनी हकीकत से
हास्य कवि /शायर ...
(जयदेव जोनवाल )
जो अगर हो कोई बेहतर उससे
लोग टुकरा देते है अक्सर सच्चाई को अपनी
मगर सच-सच ही रहता है हमेशा
भला कौन कैसे मुह मोड़ेगा अपनी हकीकत से
हास्य कवि /शायर ...
(जयदेव जोनवाल )
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