दिल जब भी रोया तो खुलकर रोया
मैं जब भी टुटा तो खुलकर टुटा
मैंने नहीं रखी कोई भी कसर बाकि
तेरी मोहब्बत में
तूने किया जब भी रुसवा मुझको
मैं रात में लिपटकर सोया
हास्य कवि / शायर ........
(जयदेव जोनवाल )
मैं जब भी टुटा तो खुलकर टुटा
मैंने नहीं रखी कोई भी कसर बाकि
तेरी मोहब्बत में
तूने किया जब भी रुसवा मुझको
मैं रात में लिपटकर सोया
हास्य कवि / शायर ........
(जयदेव जोनवाल )
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