तोड़ दे आज तू ये मेरा दिल
तो
कोई बात नहीं मैं रो लूँगा जी भरके
फिर कोई प्यास नहीं
रोज़ यूँ घुट-घुट के मरने से
अच्छा है की मैं एक बार मरुँ
अब तेरे सिवा मुझको
कोई और तलब नहीं
कोई बात नहीं मैं रो लूँगा जी भरके
फिर कोई प्यास नहीं
रोज़ यूँ घुट-घुट के मरने से
अच्छा है की मैं एक बार मरुँ
अब तेरे सिवा मुझको
कोई और तलब नहीं
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