दो लफ्ज़ प्यार के मैं बोलू तो कैसे
तू है सामने मेरे
मैं अब अपने लब खोलू तो कैसे
यूँ तो हूँ मैं शायर
और है शायरी काम मेरा
पर तेरे सामने मैं कोई शायरी कहूँ तो कैसे
तू है सामने मेरे
मैं अब अपने लब खोलू तो कैसे
यूँ तो हूँ मैं शायर
और है शायरी काम मेरा
पर तेरे सामने मैं कोई शायरी कहूँ तो कैसे
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