सोमवार, 25 जून 2012

प्यार को तराजू में ना तोलो

प्यार को तराजू में ना तोलो
ये ज़रा कीमती है
ये एहसास है उसकी चाहत का
इसका मोल नहीं है
मैं खुद को मिटाकर
भी अगर पा लूँ उसको
तो ये मेरे लिये बेशकीमती है

रोने से अब फायेदा क्या है


रोने से अब फायेदा क्या है
तुझको खोकर अब मुझमें बचा क्या है
ये अश्क है जो अब रुकते नहीं
वरना मेरा वजूद तो कब का मर चूका है

यूँ गम को छुपाने की तरीके बहुत है


यूँ गम को छुपाने की तरीके बहुत है
कोई तन्हाई में रोता है
तो कोई अश्को को पीता है
ये प्यार का चस्का है
इससे पार पाना मुश्किल है

वो कोई और थी

वो कोई और थी
तू कोई और है
ये दिल उसका हुआ 
ये जा तेरी हुई 
उसमें कोई बात थी
तुझमें कोई बात है 
बस मेरी ही ये किस्मत खराब थी 

शुक्रवार, 22 जून 2012

फैसले आज मैं सभी कर दूंगा

फैसले आज मैं
सभी कर दूंगा
 मैं मरूँगा आज या
तुझको आजाद मैं कर दूंगा
 सालो जी है जो मैंने
 ये गुमनामी की जिन्दगी
तेरे लिये आज मैं
उस राज़ पर्दा फाश कर दूंगा

मेरे सीने से लगकर तेरा रोना किसी और के लिये

मेरे सीने से लगकर तेरा रोना
 किसी और के लिये
 होना मेरी बाहों में  फिर तड़पना 
किसी और के लिये 
 नाम उसका लेना 
 फिर आहें भरना 
किसी और के लिये 


 हाँ बुरा तो लगता है 
मुझे यूँ तेरा होना 
किसी और के लिये

मैंने जीना भी नहीं छोड़ा

मैंने जीना भी नहीं छोड़ा
 और मैं मर भी ना सका
 बड़ा बदनसीब हूँ मैं
 तेरा  होके भी कभी
 मैं तेरा हो ना सका

गुरुवार, 21 जून 2012

आँख के आँसू ना थमे तो मैं रोता गया

आँख के आँसू ना थमे तो मैं रोता गया
 सारी रात मैं तुझको सोचता रहा
 मैं बुरा हूँ या मेरी ये चाहत
 बस इन्ही सवालों में
 मैं सारी रात उलझा रहा

बुधवार, 20 जून 2012

तुझको देखकर मुझको करार आता है

तुझको देखकर मुझको करार आता है
 तुझसे मिलकर ये मेरा दिल बहल जाता है
 जिन्दगी अब मुझे तेरे पहलु में अच्छी लगती है
 तेरे बिना तो सब मुझे बेवजह नज़र आता है

यूँ तुम मुझको देखकर शरमाया ना करो

यूँ तुम मुझको देखकर शरमाया ना करो
 ये दिल मेरा नाज़ुक है
 इसको तुम यूँ ना दुखाया करो
 मैं तो आराम से मर जाऊँगा
 बस तेरी एक नज़र काफी है
 तुम मुझपर यूँ सितम अपना ना ठाया करो

मंगलवार, 19 जून 2012

शाम अब ढलती है तो ढलती नहीं

शाम अब ढलती है तो ढलती नहीं
 ये जिन्दगी अब आगे बढती नहीं
 मैं रुका हूँ ना जाने किस मोड़ पे
 ये हवा भी तो अब रुक अपना बदलती नहीं

मौत से मुझे डर नहीं लगता

मौत से मुझे डर नहीं लगता
 मैं तो डरता हूँ अब जिन्दगी से
 ना जाने कब ये जिन्दगी अपना रुख बदले
 और मेरी जिन्दगी की शाम हो जाये

जाने किस उलझन में मैं उलझा सा हूँ

जाने किस उलझन में मैं उलझा सा हूँ हूँ मैं समंदर के पास मगर फिर भी मैं प्यासा हूँ हैं अजीब ये दस्तूर जिन्दगी का मैं हूँ जिनका मैं उन्ही के लिये पराया सा हूँ

शनिवार, 16 जून 2012

होश में आने से पहले तुम मुझको मिटा दो

होश में आने से पहले तुम
मुझको मिटा दो तो अच्छा है
 जो अगर में होश में आया तो बहक जाऊंगा
 मैं तो मरूँगा ये तो तय है
 पर साथ अपने मैं तेरी सारी शोहरत ले जाऊंगा

प्यार को प्यार से करार आता है

प्यार को प्यार से
करार आता है
 मुझको तेरे पहलु में
मज़ा आता है
 ये दुनिया और
ये दुनियादारी
मेरे बस की बात नहीं
 मुझको तो बस
तेरा ही कलाम आता है

यूँ तेरा मिलना फिर मिलके जुदा हो जाना

यूँ तेरा मिलना
 फिर मिलके जुदा हो जाना
 मुझको याद है
 मैंने जिस लम्हे जी ली थी
 ये दुनिया सारी
 आज भी मुझमे रवा वो एहसास है

गुरुवार, 14 जून 2012

आँख से आंसू न बहे

आँख से आंसू न बहे तो मोहब्बत में मज़ा क्या है
 वो अगर मुझसे लिपटकर ना रोये तो नशा क्या है
 मैं मिट भी जाऊं तो कोई गम नहीं
 पर अगर वो मेरी कब्र पे ना आये तो मुझे सुकून कहाँ है

मेरी तरह तुझपे मरने वाले और भी है

मेरी तरह तुझपे मरने वाले और भी है
 मैं क्या दिखाऊ चाहत अपनी
 तुझपे कुर्बान और भी है
 तू प्यार है मेरी तरह कितनो का
 और तेरे चक्कर में मेरी तरह बीमार और भी है

मंगलवार, 12 जून 2012

तोड़ दे आज तू ये मेरा दिल

तोड़ दे आज तू ये मेरा दिल तो
कोई बात नहीं मैं रो लूँगा जी भरके
 फिर कोई प्यास नहीं
 रोज़ यूँ घुट-घुट के मरने से
अच्छा है की मैं एक बार मरुँ
 अब तेरे सिवा मुझको
 कोई और तलब नहीं

मुझे कैसे भुलाओगी तुम

मुझे कैसे भुलाओगी तुम
 मैं तुम्हारे अन्दर हूँ
 ये कैसे झूठलाओगी तुम
 मेरा प्यार मेरी चाहत
 यूँ तो दिखावा है तेरे लिये
 मगर कबतलक मुझसे
 यूँ दूर भाग पाओगी तुम

किताबो को उलट-पलट के देखा

किताबो को उलट-पलट के देखा
 मैंने अपनी अलमारी का हर कोना देखा
 मगर नहीं मिली मुझको
 तेरी वो तस्वीर जिसको सालो मैंने
 हर किसी की नज़र से छुपाकर रखा

दो लफ्ज़ प्यार के मैं बोलू तो कैसे

दो लफ्ज़ प्यार के मैं बोलू तो कैसे
तू है सामने मेरे
 मैं अब अपने लब खोलू तो कैसे
 यूँ तो हूँ मैं शायर
 और है शायरी काम मेरा
 पर तेरे सामने मैं कोई शायरी कहूँ तो कैसे

रविवार, 10 जून 2012

ऐसी सज़ा दो तुम मुझे

ऐसी सज़ा दो तुम मुझे
 ऐसे करो तुम भूला दो मुझे
 लकिन मैं कितना याद आऊंगा तुम्हें
 जाते-जाते बस इतना बता दो मुझे

माना की जिन्दगी में कोई काम नहीं आता

माना की जिन्दगी में कोई काम नहीं आता
 माना की परवाना शमा के काम नहीं आता
ऐ-बेवफा लड़की तुने ये कैसे सोच लिया की
 चोट खाया आशिक किसी के काम नहीं आता

मोहब्बत को जरुरत नहीं तरफदारो की

मोहब्बत को जरुरत नहीं तरफदारो की
 वक़्त हर किसी को मोहब्बत करना सिखा देता है
 जिन्दा रहते है लोग जुदा होकर भी
 वक़्त सबको जीना सिखा देता है

होठ से जाम ना झलके

होठ से जाम ना झलके तो मज़ा क्या है तू अगर नज़रो से ना पिलाये नो नशा क्या है मुझको तो चढ़ जायेगी एक ही घुट में तू अगर सारा महखाना लुटा दे तो क्या है

शुक्रवार, 1 जून 2012

आंसुओ से दरिया भर गया

आंसुओ से दरिया भर गया
तेरी याद में ये वक़्त ठहर गया
मैं कैसे करूँ...
अब किसी से प्यार -भरी बातें
ये शख्स तो कब का मर गया

मेरी सब बातों का जवाब तू है

मेरी सब बातों का जवाब तू है
मेरे इस दिल का करार तू है
मैं अब कैसे भूला दूँ तुझको
मेरी तो हर आदत में शुमार तू है