शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

अश्क आँखों से बहे और समंदर बन गए

अश्क आँखों से बहे और समंदर बन गए
तैरने की आदत नहीं थी मुझे
मैं यूँ तेरे भरोसे पर था
आँख जब मेरी खुली तो
मेरे सारे सपने मेरे सामने बिखर कर रह गए 

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