शनिवार, 20 सितंबर 2008

गुरु जी द्वारा चेलों का सम्मान





3 टिप्‍पणियां:

निधि शेखावत ने कहा…

good photo.

shelley ने कहा…

लम्हा लम्हा लम्हा जिन्दगी है जैसे कोई अनसुलझी पहेली कोई खुश है यहाँ तो , कही गम का भवर है काटो में फूलो में, रवा होती मोश्की लम्हा लम्हा लम्हा ----------------
achchhi baat hai. lamhon se hi jiwan nirmit hota hai.

jugal ने कहा…

Bahut Achhi Photo Lagai Hai Aapne