गुरुवार, 7 अगस्त 2008

है तुमसे खुशी ऐ मेरे दोस्त


हर पल है खुशियाँ

हर राह है सुकून

हर अहसास में रवानगी

हर चाह में जूनून

अब तो मानो जिंदगी

मुट्ठी में लगती है

मांगते हैं तारे तो

चाँद हाथों तले होते हैं

खोजते हैं जिंदगी तो

कायनात कदमो तले

अठखेलियाँ करती है


बदल गया है अब

हमारी जिंदगी का

फलसफा और अंदाज़

हर कोई कहता

और पूछता है की

क्या बात है

आजकल आप कुछ

अजीब से पेश आते हो

होठों पे हँसी

आँखों में चमक और

बोली में मिठास और

साँसों में महक

ये सब कहाँ से सीखा है

मैं बस ये ही कहता हूँ


है ये मेरे दोस्त का सिला


वो आसमान से

ज़मीं पर आया है

मुझे अपना दोस्त और

तलबगार बनाया है

वरना मेरी कहाँ थी हस्ती।

1 टिप्पणी:

Sumit Pratap Singh ने कहा…

aapke jaisa dost sabhi ko mile....