गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

रो -रोकर मर रहा हूँ, हँस -हँसके जी रहा हूँ

रो -रोकर मर रहा हूँ, हँस -हँसके जी रहा हूँ
मैं इस जिंदगी का कर्ज अपने लहूँ से अता कर रहा हूँ


हास्य कवि / शायर ...

(जयदेव जोनवाल )

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