जिन्दगी में अब वो बात नहीं
जो थे कल पल वो आज नहीं
लगता था पहले हमेशा
की हर ख़ुशी मुठी में है अपनी
मगर जो देखा आज उन्ही हाथो
को मैंने गोर से....
तो इन्ही हाथो की लकीरों में तेरा साथ नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
मैं कोई खुदा नहीं
जो बदल तू मुकद्दर तेरा
और ना ही कोई पीर,पैगम्बर जो
दुआओं से भर दू
ये आँचल तेरा ..
तेरी खुशीया नहीं है बस में मेरे
मैं तो लहर हूँ
और तू समंदर
साथ हैं हम हमेशा फिर भी
साथ नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
जो थे कल पल वो आज नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें