मेरे घर के करीब
उस दिल रुबा का घर है
देखकर जिसको धडकता है ये दिल
और खुशी मिलती है मुझको
बस मेरी नजरो के सामने ही मेरा रब है
मगर प्यार करना और किसी को चाहना
दो अलग-अलग बात है
मेरे सामने है समंदर
फिर भी प्यासे ये मेरे लब है
मेरे घर के करीब
उस दिल रुबा का घर है
वो देखकर मुझको कभी घबरा
तो कभी मुस्कुरा देती है
और उसके सामने
मेरी हालत भी कहा अच्छी रहती है
यूँ तो अकेले में अक्सर सोचता हूँ
की जब वो मिलेगी तो हाले-ऐ- दिल
उसको सुनाऊंगा अपना
मगर वो जब भी मिली
ये जुबा......
खामोस ही रहती है
मेरे घर के गरीब
उस दिल रुबा का घर है
आज हो गए है बरसो
हम दोनों को इस तरह से
ना वो ही कुछ कहती है
और ना मैं ही कुछ बोल पता हूँ
अगर ये सच है की प्यार की कोई जुबा नहीं होती
वो बिन कहे समझ लेता है
सबकुछ तो फिर ....
हम दोनों के बीच ये दुरिया कैसी है
मेरे घर के करीब
उस दिल रुबा का घर है
जयदेव जोनवाल एक उभरते हुए युवा कवि हैं, जिनकी रचनाओं में उसी ताजगी का आभास होता है जो वास्तव में एक युवा कवि की रचनाओं में होना चाहिए। मेरी उन्हें ढेरों शुभकामनायें। जयदेव अच्छी रचनाओं का निर्माण करें और हिन्दी की निरंतर सेवा करते रहें। जय हिंद! जय हिन्दी! सुमित प्रताप सिंह (दिल्ली गान के रचयिता) हास्य कवि जयदेव जोनवाल सम्पर्क सूत्र -: 09250683519,8826725292
रविवार, 29 जनवरी 2012
शनिवार, 21 जनवरी 2012
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
जो थे कल पल वो आज नहीं
लगता था पहले हमेशा
की हर ख़ुशी मुठी में है अपनी
मगर जो देखा आज उन्ही हाथो
को मैंने गोर से....
तो इन्ही हाथो की लकीरों में तेरा साथ नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
मैं कोई खुदा नहीं
जो बदल तू मुकद्दर तेरा
और ना ही कोई पीर,पैगम्बर जो
दुआओं से भर दू
ये आँचल तेरा ..
तेरी खुशीया नहीं है बस में मेरे
मैं तो लहर हूँ
और तू समंदर
साथ हैं हम हमेशा फिर भी
साथ नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
जो थे कल पल वो आज नहीं
जो थे कल पल वो आज नहीं
लगता था पहले हमेशा
की हर ख़ुशी मुठी में है अपनी
मगर जो देखा आज उन्ही हाथो
को मैंने गोर से....
तो इन्ही हाथो की लकीरों में तेरा साथ नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
मैं कोई खुदा नहीं
जो बदल तू मुकद्दर तेरा
और ना ही कोई पीर,पैगम्बर जो
दुआओं से भर दू
ये आँचल तेरा ..
तेरी खुशीया नहीं है बस में मेरे
मैं तो लहर हूँ
और तू समंदर
साथ हैं हम हमेशा फिर भी
साथ नहीं
जिन्दगी में अब वो बात नहीं
जो थे कल पल वो आज नहीं
मंगलवार, 17 जनवरी 2012
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है..
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
ये दिल क्या, ये जान भी है उसकी
मगर उसको मुझपे एतबार कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
मेरी लिए है, वो जिन्दगी मेरी
जो वो नहीं तो, मैं कहाँ हूँ
उसे माना है, मैंने अपना खुदा
मगर उस खुदा पर मेरा खुद इख्तियार कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
मैं जो कभी करता हूँ
उससे ये हाल-ऐ-दिल बयां कभी अपना
तो उसे मेरी बातों से इतेफाक कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
लोग कहते है की मुझसे की अब शादी
की उम्र हो चली है, मेरी
तो घर बसा लूँ मैं किसी से अब अपना
मगर जिसकी खातिर ये उजड़ा है गुलिस्ता
उसी माली को अब मेरा ख्याल कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार कहाँ है
वो जो न मिलती मुझको तो बात
और थी...............
मगर उसका मिलना मुझसे
और इस दिल का मोहब्बत करना उसको बैइन्तहा
इसमें मेरा और इस दिल का कसूर क्या है?
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
ये दिल क्या, ये जान भी है उसकी
मगर उसको मुझपे एतबार कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
मेरी लिए है, वो जिन्दगी मेरी
जो वो नहीं तो, मैं कहाँ हूँ
उसे माना है, मैंने अपना खुदा
मगर उस खुदा पर मेरा खुद इख्तियार कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
मैं जो कभी करता हूँ
उससे ये हाल-ऐ-दिल बयां कभी अपना
तो उसे मेरी बातों से इतेफाक कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
लोग कहते है की मुझसे की अब शादी
की उम्र हो चली है, मेरी
तो घर बसा लूँ मैं किसी से अब अपना
मगर जिसकी खातिर ये उजड़ा है गुलिस्ता
उसी माली को अब मेरा ख्याल कहाँ है
प्यार के प्यार में इंतज़ार कहाँ है
वो जो न मिलती मुझको तो बात
और थी...............
मगर उसका मिलना मुझसे
और इस दिल का मोहब्बत करना उसको बैइन्तहा
इसमें मेरा और इस दिल का कसूर क्या है?
प्यार के प्यार में इंतज़ार बहुत है
सोमवार, 16 जनवरी 2012
जिन्दगी भी अजीब है
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मांगो खुशिया तो गमो में लिपटा लिबास मिलता है
ये चाहत कब पूरी होती है
किसी को चाहने से .
जब ये मुकद्दर ही खुद अपना खराब होता है
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मैंने कब मांगी थी सारे जहा की खुशिया
बस एक अपने प्यार का, प्यार ही तो माँगा था
और उसपे इस ज़माने की दुश्मनी देखिये मुझसे
जो मिला मेरा खुदा मुझसे तो वो भी बेवफा निकला
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मेरे दुशमन यूँ तो थे दुनिया में सभी
और मैं सबकी निगाहों में खलता था
मगर ये दिल टुटा ..
उसके ही हाथो
जिसपे मुझको खुदसे ज्यादा भरोसा था
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मांगो खुशिया तो गमो में लिपटा लिबास मिलता है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मांगो खुशिया तो गमो में लिपटा लिबास मिलता है
ये चाहत कब पूरी होती है
किसी को चाहने से .
जब ये मुकद्दर ही खुद अपना खराब होता है
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मैंने कब मांगी थी सारे जहा की खुशिया
बस एक अपने प्यार का, प्यार ही तो माँगा था
और उसपे इस ज़माने की दुश्मनी देखिये मुझसे
जो मिला मेरा खुदा मुझसे तो वो भी बेवफा निकला
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मेरे दुशमन यूँ तो थे दुनिया में सभी
और मैं सबकी निगाहों में खलता था
मगर ये दिल टुटा ..
उसके ही हाथो
जिसपे मुझको खुदसे ज्यादा भरोसा था
जिन्दगी भी अजीब है
सोचो कुछ तो कुछ मिलता है
मांगो खुशिया तो गमो में लिपटा लिबास मिलता है
बुधवार, 11 जनवरी 2012
मैं तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
भीड़ में , तन्हाई में
बस तेरा ही एहसास करता हूँ
तू है हर जगह..
साथ भी और दूर भी ..
मैं, अब हवाओ से बात करता हूँ
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
वो चाँद भी आजकल मुझको
कुछ फीका-फीका सा लगता है
सारा आसमान
मुझको अब सुना-सुना सा लगता है
अब चाँदनी भी कहा पहले जैसी रही है
मैं, अब इस कायनात को
ही फजूल करता हूँ ..
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
ये "जय" यू तो बन्दा है एक अदना सा
और शायरी में तुक-बंदी कर लेता है
मगर जब आती है कलम इन हाथो में
और महसूस करता हूँ, मैं मोहब्बत तेरी
तो ग़ज़ल,नज्म, शायरी ना जाने
क्या-क्या,मैं किस्से तमाम करता हूँ
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
भीड़ में , तन्हाई में
बस तेरा ही एहसास करता हूँ
तू है हर जगह..
साथ भी और दूर भी ..
मैं, अब हवाओ से बात करता हूँ
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
वो चाँद भी आजकल मुझको
कुछ फीका-फीका सा लगता है
सारा आसमान
मुझको अब सुना-सुना सा लगता है
अब चाँदनी भी कहा पहले जैसी रही है
मैं, अब इस कायनात को
ही फजूल करता हूँ ..
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
ये "जय" यू तो बन्दा है एक अदना सा
और शायरी में तुक-बंदी कर लेता है
मगर जब आती है कलम इन हाथो में
और महसूस करता हूँ, मैं मोहब्बत तेरी
तो ग़ज़ल,नज्म, शायरी ना जाने
क्या-क्या,मैं किस्से तमाम करता हूँ
मैं, तुझे हर जगह महसूस करता हूँ
मंगलवार, 3 जनवरी 2012
कुछ वक़्त तो ठहरो
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
इतनी जल्दी भी क्या है?
तुमको जाने की
बस अभी दिन ही तो ढला है
रात अभी बाकी है
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
है ये डर कैसा दुनिया से
तुझको ऐ-मेरे सनम
लोगो का तो काम ही हर वक़्त
कुछ ना कुछ कहने का है
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
है जो अगर तुझको भरोसा मुझपर
तो फिर क्यूँ है? तेरी आखे यूँ नम
ये चेहरा तेरा उतरा क्यूँ है?
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
बदलते है वो लोग जो दिल में कुछ
और जुबा पे कुछ और रखते है
ये "जय" है तुम्हारा और तुम हो मोहब्बत इसकी
वरना ये "जय" भला शायर कहा है.
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
इतनी जल्दी भी क्या है?
तुमको जाने की
बस अभी दिन ही तो ढला है
रात अभी बाकी है
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
है ये डर कैसा दुनिया से
तुझको ऐ-मेरे सनम
लोगो का तो काम ही हर वक़्त
कुछ ना कुछ कहने का है
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
है जो अगर तुझको भरोसा मुझपर
तो फिर क्यूँ है? तेरी आखे यूँ नम
ये चेहरा तेरा उतरा क्यूँ है?
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
बदलते है वो लोग जो दिल में कुछ
और जुबा पे कुछ और रखते है
ये "जय" है तुम्हारा और तुम हो मोहब्बत इसकी
वरना ये "जय" भला शायर कहा है.
कुछ वक़्त तो ठहरो
बैठो पास मेरे
मुझसे कुछ बात करो
फिर उसके बाद चलते है
सोमवार, 2 जनवरी 2012
जो उसको देखा.
जो उसको देखा तो ये दिल गया
जो खुद को रोका तो मैं गया
वो है हँसी चाँद सी
जो मैंने खुद को देखा
तो मैं चिड गया
जो उसको देखा तो ये दिल गया
देखकर उसको रुक जाते है
जाते हुये कदम सारे
हर नज़र ठहर जाती है
खुद होके उसकी
उस वक़्त उस पर .
मुझे तब बुरे लगते है ये लोग सारे
जो उसको देखा तो ये दिल गया
मेरे अलावा सब लोग कह देते है
उससे हाल-ऐ-दिल अपना
बस एक मैं ही हूँ,जो हमेशा चुप रह जाता हूँ
है मोहब्बत वो सारी दुनिया की
बस एक मैं ही उसकी चाहत में जो हमेशा अधुरा छुट जाता हूँ
प्यार तो मुझको भी है उससे बहुत
मगर ये दिल है जो डरता है उससे कुछ भी कहने से
गया 2008-09-10-11- लो , ....२०१२ भी आ गया
जो उसको देखा तो ये दिल गया
जो खुद को रोका तो मैं गया
वो है हँसी चाँद सी
जो मैंने खुद को देखा
तो मैं चिड गया
जो उसको देखा तो ये दिल गया
देखकर उसको रुक जाते है
जाते हुये कदम सारे
हर नज़र ठहर जाती है
खुद होके उसकी
उस वक़्त उस पर .
मुझे तब बुरे लगते है ये लोग सारे
जो उसको देखा तो ये दिल गया
मेरे अलावा सब लोग कह देते है
उससे हाल-ऐ-दिल अपना
बस एक मैं ही हूँ,जो हमेशा चुप रह जाता हूँ
है मोहब्बत वो सारी दुनिया की
बस एक मैं ही उसकी चाहत में जो हमेशा अधुरा छुट जाता हूँ
प्यार तो मुझको भी है उससे बहुत
मगर ये दिल है जो डरता है उससे कुछ भी कहने से
गया 2008-09-10-11- लो , ....२०१२ भी आ गया
जो उसको देखा तो ये दिल गया
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