तेरे आने का इंतज़ार था मुझको
तुझसे मिलने की हसरत थी इस दिल को
मैं सहता रहा इस दुनिया के सितम
बस तेरे लिए.....
बस तुझपे ही ऐतबार था मुझको
मैं तो प्यासा रहा
ता-उम्र तेरी चाहत का
बस तुझसे ही प्यार था मुझको
मैं तो पागल था बस हमेशा तेरे लिए
बस तू ही कभी नहीं समझी मुझको
ये दिल और ये जान तेरी ही थी हमेशा
तू कभी मांगती तो मुझसे..
हम हसके गुरबान हो जाते तेरी खातिर
पर तूमने कभी समझा ही नहीं मुझको
तेरे आने का इंतज़ार था मुझको...
जयदेव जोनवाल एक उभरते हुए युवा कवि हैं, जिनकी रचनाओं में उसी ताजगी का आभास होता है जो वास्तव में एक युवा कवि की रचनाओं में होना चाहिए। मेरी उन्हें ढेरों शुभकामनायें। जयदेव अच्छी रचनाओं का निर्माण करें और हिन्दी की निरंतर सेवा करते रहें। जय हिंद! जय हिन्दी! सुमित प्रताप सिंह (दिल्ली गान के रचयिता) हास्य कवि जयदेव जोनवाल सम्पर्क सूत्र -: 09250683519,8826725292
रविवार, 30 अक्टूबर 2011
शनिवार, 22 अक्टूबर 2011
एक और दीवाना लुटा जाता है ...
एक और दीवाना लुटा जाता है
इस प्यार के बाज़ार में
जिसका कोई खरीददार नहीं
जो खरीद सकते अगर हम
तो खरीद लेते हम उसकी मोहब्बत को
मगर उसकी कीमत हमारी
जिन्दगी से भी ज्यादा निकली
हम तो बीके सरे-ऐ-बाज़ार
उसे पाने की हसरत लिये
और एक वो थी .....
जो हमारे करीब होते हुये भी
हमारी ना बन सकी
ये जिन्दगी की कीमत क्या
जो एक बार वो मिल जाती हमें
तो हम खुद ही उसपर
कुर्बान कर देते ये हस्ती अपनी.
इस प्यार के बाज़ार में
जिसका कोई खरीददार नहीं
जो खरीद सकते अगर हम
तो खरीद लेते हम उसकी मोहब्बत को
मगर उसकी कीमत हमारी
जिन्दगी से भी ज्यादा निकली
हम तो बीके सरे-ऐ-बाज़ार
उसे पाने की हसरत लिये
और एक वो थी .....
जो हमारे करीब होते हुये भी
हमारी ना बन सकी
ये जिन्दगी की कीमत क्या
जो एक बार वो मिल जाती हमें
तो हम खुद ही उसपर
कुर्बान कर देते ये हस्ती अपनी.
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
क्या- करते...
उनसे हम अपना हाल-ऐ-दिल बयान क्या करते.
वो सुबह थी,उनको शाम क्या करते.
वो धड़कते थे मेरे दिल में, मेरी सासे बनके
हम उनकी जिन्दगी तमाम क्या करते
उनके एक वादे पे हमने
खुद मिटा दी ये अपनी हस्ती
हम उनको कसूरवार क्या करते..
वो शामिल रहे हमेशा, हममे हमारी रूह बनकर
हम उनकी जिन्दगी का हिसाब क्या करते
हमें हमेशा जरुरत रही उनकी, जीने के लिए
फिर हम उनको अपना मोहताज़ क्या करते
वो सबकुछ थे, हमारे लिए
फिर हम खुद को उनमे तलाश क्या करते
ये जिन्दगी नाम थी, उनके
फिर उनको हम कोई और नाम क्या देते ..
ये जय यूँ तो नाम है, कभी ना हारने का
मगर जो खुद ही हार मान बैठा हो
फिर उसके जीतने की शर्त क्या रखते..
हारकर खुद को किसी के लिए
जीत भी जाते तो
उस जीत का क्या करते...
हम तो लहर है, समंदर की
जो माप आते, समंदर की गहराई अगर
तो उस समंदर से बराबरी क्या करते ..
उनसे हम अपना हाल-ऐ-दिल बयान क्या करते...
वो सुबह थी,उनको शाम क्या करते.
वो धड़कते थे मेरे दिल में, मेरी सासे बनके
हम उनकी जिन्दगी तमाम क्या करते
उनके एक वादे पे हमने
खुद मिटा दी ये अपनी हस्ती
हम उनको कसूरवार क्या करते..
वो शामिल रहे हमेशा, हममे हमारी रूह बनकर
हम उनकी जिन्दगी का हिसाब क्या करते
हमें हमेशा जरुरत रही उनकी, जीने के लिए
फिर हम उनको अपना मोहताज़ क्या करते
वो सबकुछ थे, हमारे लिए
फिर हम खुद को उनमे तलाश क्या करते
ये जिन्दगी नाम थी, उनके
फिर उनको हम कोई और नाम क्या देते ..
ये जय यूँ तो नाम है, कभी ना हारने का
मगर जो खुद ही हार मान बैठा हो
फिर उसके जीतने की शर्त क्या रखते..
हारकर खुद को किसी के लिए
जीत भी जाते तो
उस जीत का क्या करते...
हम तो लहर है, समंदर की
जो माप आते, समंदर की गहराई अगर
तो उस समंदर से बराबरी क्या करते ..
उनसे हम अपना हाल-ऐ-दिल बयान क्या करते...
शनिवार, 15 अक्टूबर 2011
मेरी मोहब्बत का खात्मा
मेरी मोहब्बत का खात्मा
कुछ इस तरह से हो
मेरी कब्र पे बना उसका घर हो
जब-जब भी सोये वो
ज़मीन पर मेरे सिने पे
लगा उसका सर हो..
कुछ इस तरह से हो
मेरी कब्र पे बना उसका घर हो
जब-जब भी सोये वो
ज़मीन पर मेरे सिने पे
लगा उसका सर हो..
सोमवार, 10 अक्टूबर 2011
कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर
कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर
अपनी हर अदा से वो मुझे पागल बना देती है
वो कहती है की वो मुझे प्यार नहीं करती
फिर भी ना जाने क्यूँ.
मैं जब भी सामने होता हूँ उसके..
वो कुछ शर्मा कर कुछ घबराकर
बस मुस्कुरा देती है..
शायद वो पागल समझती है मुझे...
या कोई दीवाना उसका..
मगर मैं समझता हूँ की वो मेरी है
मुझे प्यार करती है ..
कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर
अपनी हर अदा से वो मुझे पागल बना देती है ...
अपनी हर अदा से वो मुझे पागल बना देती है
वो कहती है की वो मुझे प्यार नहीं करती
फिर भी ना जाने क्यूँ.
मैं जब भी सामने होता हूँ उसके..
वो कुछ शर्मा कर कुछ घबराकर
बस मुस्कुरा देती है..
शायद वो पागल समझती है मुझे...
या कोई दीवाना उसका..
मगर मैं समझता हूँ की वो मेरी है
मुझे प्यार करती है ..
कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर
अपनी हर अदा से वो मुझे पागल बना देती है ...
रविवार, 9 अक्टूबर 2011
गम इस कदर मिला
गम इस कदर मिला के घबराकर पी गये
खुशी थोड़ी सी मिली जो मिलाकार पी गये
गम इस कदर मिला के....................
यूँ ना थे जनम से शराबी ऐ- साकी
टूटे थे मोहब्बत में खाई थी ऐसी चोट
अश्को को जो पीया तो शराबी हो गये
गम इस कदर मिला के..........................
चाहत से सीचते थे हम मोहब्बत की हर खुशी
और उनकी हर खता को हमने हँसी में भुला दिया
और वो थे बेवफा, बेवफाई निभा गये
गम इस कदर मिला के घबराकर पी गये
खुशी थोड़ी से मली जो मिलकर पी गये
खुशी थोड़ी सी मिली जो मिलाकार पी गये
गम इस कदर मिला के....................
यूँ ना थे जनम से शराबी ऐ- साकी
टूटे थे मोहब्बत में खाई थी ऐसी चोट
अश्को को जो पीया तो शराबी हो गये
गम इस कदर मिला के..........................
चाहत से सीचते थे हम मोहब्बत की हर खुशी
और उनकी हर खता को हमने हँसी में भुला दिया
और वो थे बेवफा, बेवफाई निभा गये
गम इस कदर मिला के घबराकर पी गये
खुशी थोड़ी से मली जो मिलकर पी गये
शनिवार, 8 अक्टूबर 2011
यूँ तो हम भी कहा बुरे थे कभी
यूँ तो हम भी कहा बुरे थे कभी
बस कोई हमको कभी समझा ही नहीं
लोग समझते रहे की हम पागल है
और हमें ये सारी दुनिया बेवजह लगी
हम बुरे थे तो कोई बात नहीं
पर ये दुनिया अच्छी होकर
भी ना जाने क्यूँ अच्छी नहीं
यूँ तो हम हम भी कहा बुरे थे कभी
बस कोई हमको कभी समझा ही नहीं
लोग समझते रहे की हम पागल है
और हमें ये सारी दुनिया बेवजह लगी
हम बुरे थे तो कोई बात नहीं
पर ये दुनिया अच्छी होकर
भी ना जाने क्यूँ अच्छी नहीं
यूँ तो हम हम भी कहा बुरे थे कभी
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