तुझको खोकर अब पाना क्या
रात जलकर अब करार पाना क्या
बहुत तडपा हूँ, मैं तेरे लिए शहर भर की गलियों मे
अब उस खुदा के दर पर फिर मत्था टिकाना क्या
हास्य कवि / शायर . ...
(जयदेव जोनवाल )
रात जलकर अब करार पाना क्या
बहुत तडपा हूँ, मैं तेरे लिए शहर भर की गलियों मे
अब उस खुदा के दर पर फिर मत्था टिकाना क्या
हास्य कवि / शायर . ...
(जयदेव जोनवाल )
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