मंगलवार, 21 अक्टूबर 2008

गर्ल कॉलेज

लड़कियों के कॉलेज के बहार लड़को का एअरपोर्ट होता है
हर एक लड़की ऐरोप्लाने और लड़का पैसेंजर होता है
देखकर वो हर एक सुंदरी को मोहित हो जाता है
चल बेटा चढ़ ले इसमें , वो सोचकर हर्षाता है
मगर कभी-कभी प्लेन क्रेश भी हो जाया करते है
खुद को तो कुछ नही होता , बस पैसेंजर सिधार जाया करते है
मगर ये दिल कहा बाज़ आता है दिल लगाने से
कभी गोरी, कभी काली,लम्बी , छोटी, मोटी
जींस ,सुइट वाली
इसको कुछ फर्क नही पड़ता है
ये हर किसी पे मरता है
बस एक अदद गर्ल-फ्रेंड के लिए सुबह-से -शाम तक
लाखो लैंडिंग का शोर सुनता है
कोई है जेट ऐर्वाय्स, तो कोई किंग फिशेर है
एयर इंडिया , सहारा का भी बोलबाला है
हर मॉडल कुछ न कुछ खास नज़र आता है
और होती है , कुछ हमारी तरह मोहब्बत वाली
आँख मिलते ही हम-तुम का रिश्ता बना लेती है
कोई दाने-कोई बिन दाने के आ फसती है
अजीब है, ये मोहब्बत का चलन देखो यारो
ये चाहती है की , इन्हें भी कोई देखे
और इनके हुस्न का चर्चा हो ज़माने में
मगर कम्बखत दिमाग नही है इनमें
ये १०० करोर के भारत में
९९, करोर , ९९, लाख, ९९ हज़ार ,९९९
में से सिर्फ़ एक को ही चुनती है
हर किसी का ये भइया से संबोधन करती है
जरा सोचो जो हमने भी चलन, चलाया , बहिन का
फिर तो हर लड़की सुरख्सीत और ख़ुद से शर्मिंदा सी होगी
हर तरफ़ रोड पे, बस में, ऑफिस में, कॉलेज में , मोहल्ले में
ढेर सारे भाइयो का प्यार होगा
फिर कौन छेड़ेगा उन्हे , ज़रा सोचे वो ख़ुद ही
जब ज़माने में बिहीन -भाई एकता संसार होगा
वो छिदे हम छेड एह तभी तो बात बनती है

क्यूंकि एक नही दो से मिलकर जोड़ा होता है
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4 टिप्‍पणियां:

makrand ने कहा…

bahut acche
regards

अरुण ने कहा…

atiuttam.

Sumit Pratap Singh ने कहा…

लगे रहो JONWAL भाई...

Sumit Pratap Singh ने कहा…

सादर ब्लॉगस्ते,


दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। आपने मेरे ब्लॉग पर पधारने का कष्ट किया व मेरी रचना 'एक पत्र आतंकियों के नाम' पर अपनी अमूल्य टिप्पणी दी। अब आपको फिर से निमंत्रित कर रहा हूँ। कृपया पधारें व 'एक पत्र राज ठाकरे के नाम' पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें। आपकी प्रतीक्षा में पलकें बिछाए...

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