बस के सफर में
कुछ अजीब सा माहौल
हमसे पेश आया
लड़कियों को मैं भइया
और औरतो को मैं
भिखारी नज़र आया
बस थी भरी तो
इस में मेरा
कसूर क्या था
पुरूष तो थे
एक आध दर्ज़न
बाकी बस औरतों से भरी थी
जहा भी पैर रखा तो गाली
जो हिला तो थप्पड़
उन्हे मैं इकलौता इंसान
हाथ साफ़ करने का
tissue पेपर नज़र आया।
चलो खूबसूरत लड़कियों ने
मारा था तो अच्छा था
पर क्यूं बदसूरतों ने
अपना हाथ साफ़ किया
कुछ तो थीं उनमें
हिलती-दुलती चाचियाँ भी शामिल
जिनका चलना-फिरना ही
एक करिश्मा था
किस तरह तोडा उन्होंने
एक नादान से बच्चे को
जैसे वो सब कबाडी
और मैं उन्हें हाथ साफ़ करने का
tissue पेपर नज़र आया।
jaidev kumar jonwal
3 टिप्पणियां:
aapki bus yaatra ko padke bahut anand aaya.
shubhkaamnayen
thanks dost how are u aapko bhi
Jaidev sir, mann karta hai ki ek car khareedne ki suggestion de doon, par phit aisi kavitaein kaun likhega??
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