ये सड़क दूर तक जायेगी
कभी हिंदू के मन्दिर
तो कभी मुस्लिम की दरगाह
सिखो के गुरद्वारे
ईसाईयों के गिरजा
ये हर जगह बिना भेदभाव के भरमंड करती है
कभी इसको अच्छे लगते है मन्दिर के भजन
तो कभी दरगाह की अजान
सिखो की गुरबानी , ईसाईयों के प्राथनाएं
इन सब में एक सा मनोहर है
और एक सा संदेश की इश्वर एक है
बस उसके नाम अलग-अलग है
उसके लिए नीच-उच्च
धर्म-अधर्म जैसा कुछ नही है
उसके यहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख , ईसाई नही होता
वो बस एक इंसान होता है
जिसके लिए धर्म का होना जरुरी नही है
बल्कि चार तत्व की महानता है
पृथ्वी ,जल , आकाश, वायु और कुछ नही है
अगर कही भेद है तो मुझमें है , मैं सड़क हूँ
इंसान नही आप लोग तो जहाँ चाहएं जा सकते हो
वो कोई सा भी डर हो , मगर मेरे भाग्य में
ये सब नही लिखा
मैं तो बस हर चोखट पर आके दम तोड़ देती हूँ
वो चाहएं किसी भी धर्म की हो
ये मेरी मज़बूरी है , बाहर -बाहर से ही मैं
आप लोगो के कर्म-काण्ड सुन सकती हूँ
और मुझे ख़ुद पे खुसी होती है
की भगवान् ने मुझे सड़क बनाया
मैं आज़ाद हूँ मुझ पर किसी का हक नही है
जहा रहती हूँ , खुस रहती हूँ
पर आप सब इंसान हो
बंधन मेरी मज़बूरी है आपकी नही
क्यूँ आपके दिलो में ये तेरा, ये मेरा
आता है , मैं सबकी हूँ
और आप सब मेरे
बाटना है तो एक-दुसरे से प्यार बात हो
मुझे और मुझ जैसे बेजुबान , लाचार सम्पदाओ को नही
मुझे न तो कोई रो क पाया है
और नही में कही रुक पाउंगी
ये सड़क -------------------------------------------------------------
3 टिप्पणियां:
mujhai hindi type karne mein parshaani hai to galtiyo ke liye mein shamaparthi hun
अच्छी रचना है।
very nice......thanks
एक टिप्पणी भेजें